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बेगूसराय से बिहार तक : चुनाव आते ही शुरू हुआ ‘बिगड़े बोलों’ का मौसम, क्या यही है लोकतंत्र की दिशा?
बिहार में एक बार फिर चुनावी मौसम की दस्तक होते ही ज़ुबानें बेलगाम हो गई हैं। नेता अब विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार जैसे मुद्दों को छोड़ सीधे एक-दूसरे की जातियों,…