देश में कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने वालों की कमी नहीं है. आज भी समाज में ऐसे काफी लोग हैं जो कानून को कुछ नहीं समझते हैं. कई बार अख़बारों और सोशल मीडिया पर पढ़ने-देखने को मिलता है. किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठा रिपोर्ट (FIR ) लिखवाकर उसे फसाने की कोशिश की जा रही है.
ऐसा नहीं है कि उस व्यक्ति के साथ केवल इस तरह की घटना हो रही है आप भी इस तरह की घटना से परेशान हो सकते हैं. लेकिन कानून में इससे बचाव के लिए नियम बनाया गया है. जिसके बारे में आपको जानकारी होना जरूर चाहिए.
दरअसल, आज के समय में हमारे समाज में झूठ आरोप लगाकर किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर (FIR) करवाना काफी आसान हो गया है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति आपके खिलाफ झूठा फिर लिखवाता है तो आप उससे बचने के लिए कानून में दिए गए रास्ते को अपना सकते हैं. आइए उस रास्ते के बारे में जानते हैं..
धारा 482 को देखें
अगर किसी व्यक्ति ने आपको झूठी तरीके से फसाने की कोशिश की है और थाने में आपके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवा दिया है. तो आप भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत चैलेंज कर सकते हैं. क्योंकि धारा 482 में मामलों को चैलेंज करने के लिए प्रावधान बनाया गया है.
वहीं अगर आप इस मामले से निपटना चाहते हैं तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. जहां से आपको राहत मिल सकती है. इतना ही नहीं जब तक हाईकोर्ट कोई टिप्पणी नहीं देता है तब तक पुलिस भी आपको परेशान नहीं कर सकती है.
क्या कहती है IPC की धारा 482?
कोई भी व्यक्ति जिसके ऊपर गलत मामला दर्ज किया गया है. वह वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में इस धारा के तहत प्रार्थना-पत्र दायर कर सकता है. जिसमें आप अपने बेगुनाही की सबूत को जोड़कर वकील को एविडेंस के तौर पर कोर्ट में पेश करने के लिए कह सकता है. हालांकि, जब यह मामला कोर्ट के संज्ञान में रहता है तो आप उस सबूत को मजबूत पक्ष के साथ पुलिस की कार्यवाही रोकने के लिए और झूठी रिपोर्ट लिखवाने के मामले में रहता लेने के लिए पेश कर सकते हैं.
गिरफ्तारी की नहीं परमिशन
अगर आपको इस मामले में षड्यंत्र के तहत फसाया जा रहा है तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं और आपको पुलिस से राहत मिल जाएगी. क्योंकि इस मामले में पुलिस कोई दखलंदाजी नहीं देती है और पुलिस आपको गिरफ्तार भी नहीं कर सकती है.
खुद भी कर सकते है बचाव
अगर आपके ऊपर किसी तरह का कोई वारंट जारी होता है तो आप गिरफ्तारी से अपने आप को बचा सकते हैं. आईपीसी (IPC) की आधार के तहत आप इस मामले में गिरफ्तारी देने से बच सकते हैं. इस दौरान आपको अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट से अपील कर प्रार्थना-पत्र पर गौर करने की बात कहनी होगी.