Indian Railway : आप लोगों ने एक बार तो जरूर ट्रेन में सफर किया होगा और आपके शहर या गांव में से जरूर कोई ट्रेन की पटरी गुजरती होगी। आपने कभी ना कभी ट्रेन में तो सफर किया है, लेकिन क्या आपने कभी ट्रेन की पटरियों पर ध्यान दिया है?
क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन की पटरियां लोहे की होने के बाद भी उनको जंग क्यों नहीं लगता है? अगर हमारे घर पर कोई लोहे की चीज पड़ी है और वह कुछ दिन हवा में खुली पड़ी रहती है या पानी के संपर्क में आ जाती है तो उसे जंग लगना शुरू हो जाता है। लेकिन ट्रेन की पटरियां लोहे के होने के बाद पूरे समय खुले वातावरण में रहती है, फिर भी उन्हें जंग क्यों नहीं लगती है? आखिर ट्रेन की पटरी किस चीज से बनी होती है?
पानी और हवा तो लोहे के दुश्मन है और ट्रेन की पटरी तो हर समय इनके बीच ही रहती है फिर पटरी को ना तो जंग लगती है और ना ही ये कमजोर होती हैं। आप पटरी के साइड में जरूर जंग देख सकते हैं लेकिन पटरी के ऊपरी हिस्से पर कभी भी जंग नहीं दिखाई देगी। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
इस वजह से लगती है जंग
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हवा में मौजूद लोहे को जंग तब लगती है जब हवा ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन करती है। हवा के साथ रिएक्शन होने पर लोहे के ऊपर एक भूरे रंग की परत जम जाती है जो आयरन ऑक्साइड की होती है। लोहे की जंग परत दर परत बढ़ती रहती है लेकिन ट्रेन की पटरियों पर ऐसा नहीं होता है।
इस कारण पटरियों पर नहीं लगती जंग
अधिकतर लोगों को यही लगता है कि ट्रेन की पटरी लोहे की बनी हुई होती है लेकिन ऐसा नहीं है। ट्रेन की पटरी बनाने के लिए एक खास तरह के स्टील का इस्तेमाल किया जाता है। इसे मैग्निज स्टील कहते है। इसमें 12 प्रतिशत मैग्निज होता है और 0.8 प्रतिशत कार्बन होता है। पटरी के ऊपरी हिस्से में ये तत्व होता है तो पटरी पर आयरन ऑक्साइड की परत नहीं जमती है।