Indian Railway : आप लोगों ने भी ट्रेन में कई बार सफर किया होगा और ऐसे में रेलवे स्टेशन ट्रेन या पटरी है उसके आसपास की जगह पर कई सारे चिन्ह देखे होंगे। इन सभी संकेत का अलग-अलग मतलब होता है।
इसके अलावा स्टेशन का नाम के आगे कोई शब्द भी किसी कारण से ही जोड़ा जाता है। ऐसे में आपने देखा होगा किसी स्टेशन के पीछे ‘रोड़’ शब्द भी लगा होता है। लेकिन उस शहर का नाम रोड़ नहीं होता है। जैसे – मेड़ता रोड़, माटूंगा रोड़, रांची रोड़ आदि।
इन रेलवे स्टेशन के पीछे रोड शब्द इसलिए लगाया जाता है ताकि लोगों को पता चल सके कि यह रेलवे स्टेशन शहर से थोड़ा दूर स्थित है और वहां पर जाने के लिए आपको सड़क से जाना होगा। ट्रेन आपको शहर से कुछ दूरी पर उतार देगी।
2-100 किमी की हो सकती है दूरी
रोड़ नाम के रेलवे स्टेशन से शहर की दूरी 2 से 3 किमी से लेकर 100 किलोमीटर तक हो सकती है। जैसे वसई रोड़ की दूरी शहर से 2 किमी है। हजारीबाग रोड से शहर हजारीबाग की दूरी 66 किलोमीटर है। इसी तरह आबू रोड रेलवे स्टेशन की शहर से दूरी 27 किलोमीटर की है।
रांची रोड रेलवे स्टेशन की शहर से 49 किलोमीटर है। लेकिन बहुत से ऐसे स्टेशन है जिनके आसपास काफी आबादी बसने लगी है। लेकिन जिस वक्त ये रेलवे स्टेशन बने थे रब यहाँ कोई नहीं था।
इन्हे शहर से दूर क्यों बनाया गया?
आपको बता दें कि जिन रेलवे स्टेशन की लाइन बिछाने के लिए कई परेशानियां सामने आती है उन्हें शहर से थोड़ी दूर ही बनाया जाता है। जैसे कि माउंट आबू पहाड़ पर रेलवे लाइन बचाने में बहुत अधिक खर्च आता है। इसलिए आबू शहर से 27 किलोमीटर दूर पहाड़ के नीचे इसका रेलवे स्टेशन बनाया गया।