आखिर कैसे चुना जाता है किसी राज्य का CM? संविधान में क्या है व्यवस्था, जानें- सबकुछ….

Explained : हाल ही में भारत के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के अंदर तीन राज्यों में बीजेपी ने सत्ता हासिल की है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने जीत हासिल की है। इस बार तीनों राज्यों में नए चेहरे ही मुख्यमंत्री बने हैं जो पहले इस रेस में शामिल ही नहीं थे। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिरकार राज्य में मुख्यमंत्री कैसे तय किया जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या है? इसके अलावा मुख्यमंत्री के पास क्या योग्यता होनी चाहिए?

संविधान में मुख्यमंत्री का उल्लेख

भारतीय संविधान में भारत में मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। लेकिन संविधान में मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया को विस्तार में नहीं बताया गया है। इसके अनुसार जैसे भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति होती है, ठीक उसी तरह राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है। वही संविधान के अनुच्छेद 164 में बताया गया है कि उस राज्य का राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करेगा।

मुख्यमंत्री की नियुक्ति

संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की सलाह के आधार पर राज्यपाल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा। संविधान के अनुसार संसद में जिस तरह प्रधानमंत्री का पद होता है, इसी तरह विधानसभा में मुख्यमंत्री का पद होगा। संविधान के अनुसार लोकसभा में जब तक बहुमत है, तब तक प्रधानमंत्री पद पर रह सकता है, उसी प्रकार मुख्यमंत्री भी बहुमत के आधार पर ही पद पर रह सकता है।

राज्यपाल के पास कैसे पहुँचता है नाम

नियम के अनुसार चुने हुए विधायक अपना नेता चुनते हैं और इसकी सूचना राज्यपाल को दी जाती है। इसके बाद बहुमत वाले नेता को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है।

विधायकों की भूमिका

किसी राज्य के चुनाव परिणाम आने पर जिस पार्टी के अधिक नेता विधानसभा चुनाव में जीतते हैं वहीं सरकार अपना मुख्यमंत्री चुनती है। व्यवहारिक तौर पर यह चुने हुए विधायक पार्टी से विचार विमर्श कर करते हैं और पार्टी के शीर्ष नेता विधायकों की रायशुमारी और अन्य पहलुओं पर एक नाम निश्चित करते हैं जिसके बाद औपचारिक तौर पर पार्टी के चुने गए विधायक उसे अपना नेता चुनते हैं जो प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है।

मुख्यमंत्री की योग्यता

मुख्यमंत्री पद के लिए वह व्यक्ति योग्य है जो विधायक बनने के योग्य है, लेकिन रोचक बात यह है कि जरूरी नहीं कि विधायकों द्वारा चुना गया वह व्यक्ति पहले विधायक हो। अगर ऐसा नहीं है तो वह व्यक्ति मुख्यमंत्री तो बन सकता है लेकिन आने वाले 6 महीने के अंदर उसे विधानसभा में सदस्यता हासिल करनी होगी। इसका नियम प्रधानमंत्री के नियम की तरह ही है।

जिस तरह से मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया निर्धारित है, भारत में मुख्यमंत्री बनने के कई राजनैतिक पहलू हैं जो औपचारिक तौर पर भले ही ना दिखते हों, लेकिन उनका प्रभाव दिखता है। जो व्यक्ति मुख्यमंत्री पद का दावेदार होता है उसका बहुमत वाली पार्टी में अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। वहीं दूसरी तरफ शक्तिशाली केंद्रीय नेतृत्व कई बार अपनी पसंद के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनवाता दिख जाता है जिससे नए नामों पर हैरानी होती है। इसमें भी कई पार्टी राजनैतिक गणित को ध्यान में रखती है।