Indian Railways : भारतीय रेलवे से हर दिन बड़ी संख्या में लोग यात्रा करते हैं। यात्रा के दौरान यात्रियों को होने वाली किसी भी परेशानी के लिए रेलवे जिम्मेदार है। कई बार ट्रेन कई-कई घंटे लेट हो जाती है। इससे यात्रियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
इसी कड़ी में केरल के एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन लेट होने की स्थिति में दक्षिणी रेलवे को एक यात्री को 60,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
कार्तिक नाम के शख्स ने 6 मई 2018 को एलेप्पी एक्सप्रेस से चेन्नई जाने के लिए टिकट बुक कराया था। कार्तिक को अपनी कंपनी की एक जरूरी मीटिंग में शामिल होना था। वह निर्धारित समय पर रेलवे स्टेशन पहुंच गये। लेकिन ट्रेन समय पर नहीं पहुंची। एलेप्पी एक्सप्रेस 13 घंटे लेट थी। ट्रेन लेट होने के कारण कार्तिक कंपनी की अहम बैठक में शामिल नहीं हो सके। इसका उनके करियर पर बुरा असर पड़ा।
रेलवे के खिलाफ मामला दर्ज
कार्तिक ने रेलवे से अपने नुकसान की भरपाई के लिए एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मामला दायर किया और रेलवे से मुआवजे की मांग की। कार्तिक ने कहा कि रेलवे ने ट्रेन लेट होने की समय पर जानकारी नहीं दी और न ही ट्रेन लेट होने पर वैकल्पिक व्यवस्था की।
यह सेवा में लापरवाही का मामला है। रेलवे ने अपने बचाव में तर्क दिया कि यात्री ने अपनी यात्रा के उद्देश्य के बारे में रेलवे को सूचित नहीं किया था। यदि यात्री ने रेलवे को सूचित किया होता तो वे आवश्यक सावधानी बरतते।
उपभोक्ता आयोग ने रेलवे की इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि यात्रियों के समय का महत्व निर्विवाद है। 13 घंटे की देरी और यात्री के साथ उचित जानकारी साझा नहीं करना ‘सेवा में विफलता’ के बराबर है। विस्तारित देरी और उसके परिणामों के लिए रेलवे जिम्मेदार है।
इसलिए यात्री को हुए नुकसान की भरपाई करना उसकी जिम्मेदारी है। उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को यात्री को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 10,000 रुपये देने का आदेश दिया।