Vande Sadharan Train: अब देश भर में वंदे भारत ट्रेन लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है. अक्सर हमें खबर पढ़ने को मिलता है कि, किसी राज्य के सांसद रेल मंत्री से मिलकर अपने इलाके में वंदे भारत ट्रेन चलाने की मांग कर रहे हैं. इस ट्रेन की लोकप्रियता का आलम इस कदर राज्यों में और उनके मुख्यमंत्री में देखने को मिल रहा है कि, लगातार ट्रेन को चलाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस ट्रेन के साथ दिक्कत यह भी है.महंगा किराया होने की वजह से इसमें आम आदमी नहीं चढ़ पा रहा है. इसीलिए सरकार एक नई ट्रेन वंदे साधारण चलाने की तैयारी में जुटी हुई है.
वंदे साधारण प्रोजेक्ट क्या है ?
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वंदे भारत और वंदे साधारण (Vande Sadharan Train) के बीच के फर्क को समझते हुए कहा कि, आपको अंतर जानना है. तो सबसे पहले शताब्दी और जनशताब्दी के बीच का अंतर समझना होगा शताब्दी एक्सप्रेस को जब शुरू किया गया था. तो इसमें अमीर लोग भी सफर कर पाते थे, इसका भाड़ा अधिक था तब इस ट्रेन को आम जनता का वजन जनशताब्दी की शुरुआत की गई.
वंदे भारत की शुरुआत
दरअसल, रेल अधिकारियों ने मिलकर साल 2018 में एक इंप्रूव्ड ईएमयू ट्रेन को तैयार किया था. जिसका नाम इन्होंने ट्रेन 18 रखा था, बाद में इसे रोलिंग स्टॉक को वंदे भारत का रूप दे दिया गया. देश की पहली वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत दिल्ली से वाराणसी के बीच की गई थी. इस पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी 2019 को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. जब ट्रेन भारत की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली ट्रेन है. इसमें कंफर्ट की भी सुविधा बेहतर तरीके से दी गई लेकिन किराया इसका काफी अधिक है. इसके ऐसी चेयर का दिल्ली से वाराणसी का किराया लगभग 1805 रुपए है, जबकि एजुकेटिव क्लास का किराया लगभग 3355 रुपए हैं.
गरीबों के लिए बन रही साधारण वंदे भारत
हम सभी जानते हैं कि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों गरीबों का जिक्र कुछ ज्यादा ही करने लगी है. आप गरीबों के लिए वंदे भारत का इकोनामिक वर्जन वन्दे साधारण (Vande Sadharan Train) को तैयार किया जा रहा है. रेलवे के अधिकारी शिक्षक की माने तो इस ट्रेन के बनाने की प्रक्रिया इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में शुरू कर दी है. इसे अगले कुछ महीने में बना कर तैयार कर दिया जाएगा. इसमें सभी सेकंड क्लास के डिब्बे होंगे, इसीलिए ऐसा किराया भी कम होने वाला है.