भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कुछ साल पहले डिजिटल इंडिया (Digital India) का नारा दिया था। और इस नारे के साथ ही पीएम (PM Modi) ने देशवासियों से अपील की थी कि समय के साथ टेक्नोलॉजी के महत्व को पहचाने और डिजिटल इंडिया बनाने में सहयोग करें। इस मुहिम को गति कोरोना कल के दौरान खूब मिली।
हालांकि उससे पहले भी यह जोर-शोर से चल रहा था लेकिन कोरोना के समय से ही डिजिटल इंडिया लोगों के लिए मजबूरी बन गई और उसके बाद से भारत डिजिटाइजेशन की तरफ बहुत तेजी से बढ़ा। नतीजतन डिजिटल लेनदेन भारत में तेजी से बढ़ा है। यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (United Payment Interface) यानी कि यूपीआई (UPI) कुछ दिन पहले अन्य देशों में भी शुरू हुआ।
अभी जो ताजा आंकड़ा आया है वह भी यह साबित कर रहा है कि भारत में डिजिटल लेनदेन में खूब बढ़ोतरी हो रही है। और जिस गति से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है अगर यह गति जारी रहा तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आने वाले समय में कैशलेस भारत (Cashless India) का सपना बहुत जल्द ही पूर्ण हो जाएगा।
ताजा आंकड़े के अनुसार भारत में डिजिटल लेनदेन (Digital Transaction In India) 10 अरब को पार कर चुकी है। वर्ल्डलाइन ने यह आंकड़ा जारी किया है। वर्ल्डलाइन द्वारा जारी किए गए इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 के जनवरी महीने में भारत में यूपीआई (UPI) के द्वारा होने वाली लेनदेन 15.1 करोड रुपए थी जो 2023 के जून महीने में बढ़कर 9.3 अरब हो गई।
इस रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2022 में यूपीआई लेनदेन में पर्सन टू मर्चेंट (Person To Merchant) यानी कि पर्सन टू मर्चेंट का हिस्सेदारी मात्र 40 फ़ीसदी थी। यानी कि यूपीआई के द्वारा किए गए कुल ट्रांजैक्शंस का 40 फीसदी P2M के द्वारा किया गया था। और यह जाकर जून 2023 में बढ़कर यह आंकड़ा 57.5 फ़ीसदी हो गई। इससे साफ झलक रहा है कि यूपीआई के द्वारा हुए ट्रांजैक्शंस में जो बढ़ोतरी हुई है उसमें अहम योगदान P2M का भी है।
अब आपके मन में यह प्रश्न हिलोरे मार रहा होगा कि आखिर यह P2M होता क्या है? दरअसल यूपीआई से जब आप पेमेंट करते हैं तो दो प्रकार के लोग को आप पेमेंट करते हैं। एक जब आप किसी आदमी को पैसे भेज रहे होते हैं और दूसरा आप किसी बिजनेस परपस से पैसे भेज रहे होते हैं। सब्जी के दुकान पर, दावा दुकान, रेस्टोरेंट, इत्यादि जगह पर पेमेंट जो किया जाता है उसी को पर्सन टू मर्चेंट यानी कि P2M कहते हैं।