डेस्क : देशभर में 15 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएगी। नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो किसी एक या दो राज्यों में नहीं बल्कि देश के ज्यादातर राज्यों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में नवरात्रि बड़ी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। नवरात्रि के पहले दिन सभी व्रतधारी अपने घरों में कलश स्थापित करते हैं।
हिंदू धर्म में कलश का विशेष महत्व है। किसी भी पूजा में सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि के दौरान इसकी मान्यता बहुत अधिक होती है। आपके मन में ये सवाल कई बार आया होगा कि आखिर नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना क्यों की जाती है, तो आज हम जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक कारण।
पौराणिक मान्यताएँ क्या कहती हैं?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में भगवान शिव और नीचे नीचे ब्रह्मा जी निवास करते हैं। कलश के मध्य में दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। इसलिए कलश को बहुत पवित्र माना जाता है। कलश में भरा जल शीतलता और स्वच्छता का प्रतीक है। कलश स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कैसे करना चाहिए कलश स्थापना
कलश स्थापित करने से पहले कलश के नीचे जौ या गेहूं डालना चाहिए। कलश के मुख में आम के पत्ते और नारियल रखना चाहिए। कलश स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पहले उस स्थान को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें उसके बाद ही कलश स्थापित करें।
कलश को मुख्यतः पांच प्रकार के पत्तों से सजाया जाता है, जिसके बाद उसमें हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, सिक्का आदि रखा जाता है। इसके बाद कलश पर स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है। इसे स्थापित करने से पहले रेत की वेदी बनाई जाती है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। इन्हें धन-धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए बोया जाता है।
कलश किस धातु का बना होना चाहिए?
कलश स्थापित करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि कलश हमेशा मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का बना होना चाहिए और कभी भी स्टील या किसी अन्य धातु का उपयोग नहीं करना चाहिए। कलश स्थापना से पहले इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कई बार जानकारी के अभाव में लोग गलतियां कर बैठते हैं। वैसे तो श्रद्धापूर्वक की गई हर पूजा सफल होती है, लेकिन पूजा विधि-विधान से ही की जानी चाहिए।