Indian Railway: भारतीय रेलवे का इतिहास 170 साल पुराना है. जो आज भी डेवलपमेंट के साथ-साथ आगे बढ़ रहा है, भारत में हर रोज हजारों ट्रेन संचालित की जाती है. जिसमें करोड़ों की संख्या में लोग सफर करते हैं. यह संख्या ऑस्ट्रेलिया देश की आबादी के बराबर है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, भारत में रेल चलाने की कल्पना सबसे पहले किस सख्श के मन में आया और रेलवे के जनक कौन है?
इंडिया में सबसे पहले चलाई गई माल गाड़ी बाद में यात्री ट्रेन
भारत में सबसे पहली पैसेंजर ट्रेन 1853 में चलाई गई थी जबकि योजना 1837 से ही बनाई जा रही थी. सबसे पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास के चिंताड्रिपेट्र पुल तक मालगाड़ी के रूप में चलाए गए थे जिसका मुख्य उद्देश्य था कि अंग्रेज भारत से लाभ कमा सके. जिसका श्रेय लॉर्ड डलहौजी को जाता है. क्योंकि लॉर्ड डलहौजी ब्रिटिश शासन काल के गवर्नर थे और उन्होंने भारत में कई कानून बनाएं.
लॉर्ड डलहौजी ने भारत में ट्रेन चलाने के लिए ब्रिटिश शासन काल से मांगी अनुमति
ब्रिटिश काल के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने 1853 में प्रसिद्ध रेलवे मिनट के जरिए चलाने के लिए सरकार को राजी कर लिया. रेलवे चलाने के बाद लॉर्ड डलहौजी ने भारत के प्रमुख शहरों के साथ-साथ बंदरगाहों को भी जोड़ने का काम किया इसके अलावा व्यापारिक गतिविधियों और रणनीतिक मांगों को बढ़ावा देने के लिए नेटवर्क में लगातार बढ़ोतरी की. लॉर्ड डलहौजी 1848 से लेकर 18 से 56 तक भारत के ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पद पर काम किए.
भारतीय रेलवे आज दुनिया का चौथा विशाल नेटवर्क
Laad Dalhousie के बाद अंग्रेजी निजी कंपनियों ने रेलवे लाइन को बढ़ावा देने का काम शुरू किया और 1853 में ठाणे और मुंबई के बीच पहली रेल लाइन बनाकर तैयार किया जिस पर पैसेंजर ट्रेन चलाने का फैसला लिया गया. इस ट्रेन को 26 मील की दूरी तय करने के लिए चलाया गया था इसके अलावा इसका मकसद था कि व्यापार को बढ़ावा मिले और यात्री भी समय के साथ यात्रा कर सकें.
वैसे तो आजकल भारत में हर रोज 22,593 ट्रेनों को चलाया जाता है जिसमें से 9141 मल गाड़ियां और 13,450 पैसेंजर ट्रेन है. औसतन हर रोज करीब 2.50 करोड़ लोग ट्रेन से सफर करते है. इसके साथ 203.88 मिलियन टन माल की ढुलाई की जाती है.