ट्रेन चलते समय पटरी पर बालू गिराती है!आप में से ज्यादातर को शायद यह बात पता नही होगी और पता भी होगी तो इसके पीछे का कारण नहीं पता होगा। दरअसल इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, पटरियों पर बालू गिराने के लिए ट्रेन के पहियों पर सैंडबॉक्स लगे होते हैं और इसका कंट्रोल होता है ड्राइवर के हाथों में ड्राइवर यानी ट्रेन का लोको पायलट।लोको पायलट इसे कंट्रोल करता है और हर वक्त ट्रेन पटरी ऊपर बालू नहीं गिराती।
लोको पायलट अपने हिसाब से इस बात का फैसला करता है। ट्रेन जब किसी पहाड़ी या ढलान वाली जगह से गुजरती है उस वक्त यह बेहद जरूरी हो जाता है कि ट्रेन को फिसलने से बचाया जाए और ऐसे वक्त पर ट्रेन के सैंडबॉक्स से रेत गिराई जाती है ताकि किसी भी घटना से बचा जा सके, इसकी मदद से ऐसी जगह पर ब्रेक लगाना और मैनेज करना काफी आसान हो जाता है, जिस वजह से ट्रेन के चलने से पहले इसके सैंडबॉक्स में रेत भरी जाती है, सैंडबॉक्स में एक पाइप के जरिए यह रेत पटरी पर गिराई जाती है,
मालूम हो कि इस रेत को गर्म भी किया जाता है ताकि ये आसानी से नीचे गिर जाए, और साथ ही में ये भी सुनिश्चित करता है कि ट्रेन किसी भी उतार-चढ़ाव वाली जगह में बेपटरी ना हो। रेत की व्यवस्था और सैंडबॉक्स की उपयोगिता मात्र भारतीय ट्रेनों में नहीं बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन की ट्रेनों में भी है हालांकि उनका स्वरूप अपने आप में कुछ अलग है।