दिल्ली पर राज करने के लिए आखिर क्यों जीतनी पड़ी पानीपत की जंग – जानें

पानीपत अपनी ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है यहां पर तीन बड़े युद्ध लड़े गए और तीनों ने ही इतिहास में अपना नाम दर्ज किया, तो आखिर पानीपत इतना ज्यादा महत्वपूर्ण कैसे हो गया? आज हम हमारी इस जिज्ञासा को इस आर्टिकल के माध्यम से शांत करेंगे। यह पांडवों द्वारा स्थापित 5 शहरों में से एक था जिसे पांडुप्रसथ कहा जाता था, यहां सबसे पहले बाबर ने लोधी साम्राज्य को खत्म कर मुगल साम्राज्य की स्थापना करी थी।

पानीपत की दूसरी लड़ाई 1556 में अकबर और सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के बीच लड़ी गई थी। लड़ाई में हेमचंद्र ने अकबर को हरा दिया था,वहीं पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के बीच लड़ी गई थी जिसमें अफ़गानों ने मराठों को हरा दिया था यह मराठा की सबसे बड़ी हार थी। पानीपत अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है ,ये दिल्ली के काफी करीब स्थित था जिस वजह से इस पर कब्जा पाना दिल्ली पर कब्जा करने के बराबर था। वहीं इससे कई सारे व्यापारिक रास्ते भी जुड़े हुए थे जिससे आर्थिक मदद भी मिलती थी।

इस वजह से पानीपत पर विजय पाना एक बड़े स्तर की जीत मानी जाती थी। पानीपत से बहने वाली जमुना नदी भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण थी जो पानी की कमी की भरपाई करती थी और साल भर के पानी की व्यवस्था आराम से हो जाया करती थी। इसके अलावा पानीपत की खुली और समतल जमीन युद्ध के लिए भी बेहद उपयोगी थी,जिस वजह से इस जगह की प्रासंगिकता बनी हुई थी। इसका मतलब हम निकाल सकते हैं कि पानीपत की ऐतिहासिक उपयोगिता किसी एक कारण से नहीं बल्कि बहुत सारे कारणों से बनी हुई थी फिर चाहे वह राजनीतिक हो,आर्थिक हो या फिर सामाजिक।