Loco Pilot : ट्रेन का सफर तो हम सब ने किया होगा भारतीय रेलवे विश्व भर में चौथा सबसे बड़ा रेलवे डिपार्टमेंट है।रेल की यात्रा बेहद सुगम और किफायती मानी जाती है लेकिन इस ट्रेन को चलाता कौन है इसके जवाब में हम सब बोलेंगे लोको पायलट।लोको पायलट वह व्यक्ति है जो ट्रेन को चलाता है लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेन को चलाने में मात्र लोको पायलट का हाथ नहीं होता है।
दरअसल ट्रेन में स्टीयरिंग नहीं होती है, और ना ही लोको पायलट का जब मन हो वह ट्रेन को रोक या चला सकता है यहां तक कि लोको पायलट अपनी मर्जी से ट्रेन को दाएं बाएं भी नहीं कर सकता।लोको पायलट मात्र दिए गए निर्देशों का पालन करता है, ट्रेन में कई बोगियां होती है और उनको खींचने वाला एक इंजन होता है। इंजन में ही लोको पायलट बैठा होता है और वो ट्रेन के गियर को बदलने का काम करता है, लोको पायलट ट्रेन के अगल-बगल लगे हुए सिग्नल को देखकर उसके अनुरूप ट्रेन को ढालता है, ट्रेन में 11 तरह के हॉर्न होते हैं और उसी के हिसाब से लोको पायलट ट्रेन का हॉर्न भी बजाता है, ऐसी परिस्थिति में जब ट्रेन में कोई रेलवे का सीनियर अफसर नहीं होता तब लोको पायलट जरूरी फैसले ट्रेन के आखिरी डिब्बे में उपस्थित गार्ड से संपर्क करके लेता है।
वहीं अक्सर आपने देखा होगा कि ट्रेन एक पटरी को छोड़कर दूसरी पटरी की तरफ मुड़ जाती है।यह कार्य रेलवे के एक कर्मचारी जिसे हम पॉइंटमैन कहते हैं उसके द्वारा किया जाता है, जो स्टेशन मास्टर के निर्देशों के अनुरूप काम करता है।