Land law : अगर आप कमाई के बाद ढेर सारी जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते। इसके लिए भी कानून है। सोना, चांदी और पैसों की तरह जमीन रखने की भी सीमा तय कर दी गई है। अगर आप एक तय सीमा से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण करते हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी संभव है। भारत में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। पूरे देश में जमीन के मालिकाना हक के लिए कोई एक समान कानून नहीं है।
क्या है कानून
देश में जमींदारी प्रथा को ख़त्म करने के लिए भूमि संशोधन अधिनियम 1954 बनाया गया था। इस एक्ट के आने के बाद हर राज्य के लिए अलग-अलग जमीन रखने का नियम है। केरल में भूमि संशोधन अधिनियम 1963 के तहत एक अविवाहित व्यक्ति केवल 7.5 एकड़ तक ही जमीन खरीद सकता है।
वहीं, 5 सदस्यों का एक परिवार 15 एकड़ तक जमीन खरीद सकता है। महाराष्ट्र में खेती योग्य जमीन केवल वही लोग खरीदेंगे जो पहले से ही खेती कर रहे हैं। यहां अधिकतम सीमा 54 एकड़ है. पश्चिम बंगाल में अधिकतम 24.5 एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है। वहीं, बिहार में आप 15 एकड़ तक कृषि भूमि खरीद सकते हैं।
हर राज्य में अलग-अलग कानून क्यों?
हिमाचल प्रदेश में 32 एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है। कर्नाटक में भी आप 54 एकड़ जमीन खरीद सकते हैं और यहां भी महाराष्ट्र का नियम लागू है। उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति अधिकतम 12.5 एकड़ कृषि योग्य भूमि खरीद सकता है। देश के हर राज्य को जमीन बनाने का कानून दिया गया है क्योंकि उनकी भौगोलिक स्थिति अलग-अलग है। स्थानीय निवासियों, आदिवासियों की ज़मीन, लाल डोरा की ज़मीन, कई तरह की ज़मीनें सरकार के पास हैं, जिन पर राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है।
पाकिस्तान और बंगला देश में ये है कानून
अगर पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो वहां संपत्ति विरासत अधिनियम में जमीन रखने का प्रावधान है, लेकिन वहां भी भारत की तरह हर प्रांत के लिए अलग-अलग नियम हैं। यही स्थिति बांग्लादेश की भी है। बांग्लादेश में भी जमीन के मालिकाना हक को लेकर कोई तय कानून नहीं है। लेकिन भारत में कानून अंग्रेजो द्वारा बनाया गया है। ऐसे में यदि कोई इस कानून का उलंघन करता है वो जेल भी जा सकता है।