न्यूज़ डेस्क : आज के समय में बिहार में फैक्ट्री ना होने के चलते लोग पलायन करने पर मजबूर हैं। वहीं एक समय ऐसा भी था जब राज्य में उद्योग धंधा चरम पर था। रैयाम चीनी, मिल, पेपर मिल, रिगा चीनी मिल, जमालपुर रेल कारखाना, बरौनी रिफाइनरी, आदि जैसे कई नाम है, जिससे बिहार औद्योग के दुनिया में एक अलग पहचान बनाया था। परंतु धीरे-धीरे सारे कारखाने को ग्रहण लग गया, और सब बंद हो गया।
परंतु, अब शायद केंद्र साकार एक गहरी नींद से जागने लगी है। और अब फिर से बंद पड़े कारखानों को पुर्नजीवित किया जा रहा है। इसी क्रम में अब बरौनी का उर्वरक कारखाना इसी साल एक बार पुनः पहले की भांति शुरू होने जा रहा है। इस कारखाना के शुरू होते ही प्रदेश के लाखों किसानों को काफी फायदा होगा।
इस वर्ष के जून महीने तक शुरू होगा कारखाना : मालूम हो कि बरौनी खाद कारखाना का कार्य 95 फीसदी तक सम्पन हो गया है। इस कारखाने में संभवतः जून महीने तक उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। वहीं केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि भारत की उर्वरक आवश्यकता को आत्मनिर्भर भारत योजना के दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए देश में खाद की पर्याप्त उत्पादन हो इसके लिए धीरे-धीरे बंद पड़े पांच उर्वरक कारखानों को शुरू करने का का निर्णय लिया गया।
बिहार के लाखों किसान होंगें लाभान्वित : बता दे की रामगुंडम और गोरखपुर के कारखानों में तो उत्पादन की प्रक्रिया आरम्भ भी कर दी गई। अब सिंदरी और बरौनी खाद कारखानों को भी सुचारू रूप से उत्पादन चालू करने का कार्य जोरो पर है। बतातें चलें कि वर्ष 2016 में 8388 करोड़ रुपये बरौनी कारखाने के जीर्णोद्धार हेतु आवंटित किए गए थे। वहीं इसकी नींव फरवरी 2017 में रखी थी। मामूल हो कि कोविड-19 के कारण इस परियोजना में देर लगा है। आपको बतादें कि इस कारखाना के शुरू होने से बिहार के लाखों किसान लाभान्वित होंगें।