समोसे का अकार तिकोना क्यों होता है ? जानिए इसके पीछे की वजह

डेस्क : बचपन में आपने समोसे तो खूब खाए होंगे, आजके समय में भी जब आप काम से फ्री होते हैं या फिर जब आपका वीकेंड पर समोसे खाने का मन होता होगा तो समोसा खाते टाइम आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आया होगा कि आखिर समोसे तिकोनी अकार के क्यों बनाए जाते हैं। आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देने वाले हैं।

भारत में समोसे को वह दर्जा प्राप्त है जो इटली में पिज़्ज़ा को प्राप्त होता है, लंबे समय से समोसा लोगों की पसंद बना हुआ है। ऐसे में उसको मीठी चटनी के साथ खाने का मजा ही अलग है। अलग-अलग जगह पर समोसे को अलग-अलग तरीकों से परोसा जाता है, आजकल तो लोगों ने समोसे के नए-नए आइटम बना दिए हैं, कोई उसमें चौमिन भर के बेचता है तो कोई सिर्फ आलू।

आज हम जानेंगे कि आखिर समोसा आया कहां से ? बता दे कि एक फारसी इतिहासकार जन्मे थे जिनका नाम अबुल फजल था। अबुल फजल की लेखनी में समोसे का जिक्र किया गया है, बता दें कि जब मोहम्मद गजनबी साम्राज्य के शाही दरबार में किसी नमकीन चीज की बात कर रहे थे तब लोग को कीमा और मेवा खाने का शौख हुआ करता था।

इनमें कीमा और मेवा तब तक पकाया जाता था, जब तक यह खस्ता ना हो जाए। विशेषज्ञ पुष्पेश पंत ने बताया है कि समोसा तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान पहुंचा तो उसमें काफी बदलाव आ गए थे। मध्य एशिया की पहाड़ियों से होते हुए जब यह भारत पहुंचा तो उसको लोगों ने अलग तरीके से बनाना शुरू कर दिया। शुरुआती समय में किसान लोग समोसे को खूब खाया करते थे। फिलहाल तो समोसा तिकोना ही क्यों बनाया जाता है इसकी कोई जानकारी नहीं है लेकिन यदि समोसे को किसी अलग प्रकार में बनाया जाए तो लोग उसको पसंद नहीं करते।

ज्यादा जानकारी के लिए बता दें कि फारसी में इसको समसा भी कहा जाता है। बहरहाल बना तो यह मध्य एशिया में है और मद्धेशिया में समसा का मतलब होता है, पिरामिड। दरअसल पिरामिड भी तिकोनि अकार में बना हुआ होता है जिसके चलते लोग समोसा खूब खाते हैं।