Sankashti Chaturthi : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना जाता है। इनकी पूजा करने से सभी दुख और परेशानियां दूर होती है। देखा जाए तो हर महीने में दो गणेश चतुर्थी आती है लेकिन हर पक्ष की गणेश चतुर्थी का महत्व अलग होता है।
सावन का महीना है और इस महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को ही लिया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर होते हैं और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है।
रिद्धि-सिद्धि के दाता
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है और जब कोई पूरे विधि-विधान से और सच्चे मन से उनकी पूजा और आराधना करता है तो वह उनके सभी दुख हर लेते है। भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि के दाता हैं। भविष्य उत्तर पुराण के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति लोग लालच, द्वेष, ईर्ष्या और मोह माया से दूर रहकर हर महीने एक साल या तीन साल या पूरी जिंदगी भगवान गणेश का व्रत करते हैं तो गणेश जी उनके सभी दुख संकट दूर करते हैं।
कुंवारी युवतियों को गणेश जी का व्रत करने से सुंदर और सुयोग्य वर मिलता है। अगर सौभाग्यवती या शादीशुदा स्त्री गणेश जी का व्रत करती हैं तो उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है और विधवा स्त्री का सौभाग्य जन्मों जन्मों तक बना रहता है।
व्रत की विधि
सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी संकष्टी चतुर्थी को सबसे पहले उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर और सुबह जल्दी स्नान करने और साफ-सुथरे वस्त्र पहन ले। इसके पश्चात भगवान सूर्य और अन्य देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद एक साफ से पाटे पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
अब उन्हें फूल माला अर्पित करते हुए और गणेश जी का ध्यान करते हुए मंत्र उच्चारण करते हुए विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके बाद 21 दूर्वा लेकर भगवान गणेश जी के नामों के साथ दूर्वा अर्पित करते हुए मोदक का भोग लगाएं और आरती करने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद बाँट दें और खुद भी ग्रहण करें।