Prashant Kishore: आज पूरा देश राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) से परिचित है। प्रशांत किशोर 2014 के बाद अपने राजनीतिक कौशल के कारण चर्चा में रहे। उन्होंने देश के कई दिग्गज नेताओं पीएम नरेंद्र मोदी, जगनमोहन रेड्डी, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को सत्ता दिलाने में अन्य भूमिका निभाई। लेकिन इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद भी कई लोग उनसे जुड़ी कई बातें नहीं जानते हैं। आज हम आपको इनकी लव स्टोरी से लेकर राजनीति में सक्रियता तक के बारे में विस्तार से बताएंगे, आइए जानते हैं विस्तार से…
बक्सर का रहने वाला प्रशांत : पहले प्रशांत किशोर के जन्म स्थान और उनके परिवार के बारे में जान लेते हैं, फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे। प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 मार्च 1977 को बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था। बाद में वे अपने परिवार के साथ बक्सर चले गए। प्रशांत किशोर के पिता श्रीकांत पांडेय बिहार सरकार में डॉक्टर रह चुके हैं।
प्रशांत कुमार की पढ़ाई – लिखा : प्रशांत किशोर बिहार के बक्सर के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल की पढ़ाई के बाद प्रशांत किशोर इंजीनियरिंग करने के लिए हैदराबाद चले गए। इंजीनियरिंग के बाद, प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र के एक स्वास्थ्य कार्यक्रम में शामिल हो गए। वहीं उनकी मुलाकात जाह्नवी दास से हुई।
प्रेम कहानी की शुरुआत : जाह्नवी दास पेशे से डॉक्टर हैं। दोनों की मुलाकात पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। बाद में प्रशांत किशोर ने जाह्नवी दास से शादी कर ली। जाह्नवी दास और प्रशांत किशोर का एक बेटा है। पीके ने संयुक्त राष्ट्र में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में काम किया। डॉक्टर के घर पर होने के बाद भी उसे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की नौकरी छोड़कर किशोर 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल हो गए। इसके बाद राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू हो गया।
प्रशांत किशोर पहली बार तब सुर्खियों में आए जब 2014 के आम चुनावों में, वे भारतीय जनता पार्टी के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए चुनावी रणनीतिकार बने। 2014 में जैसे ही केंद्र में बीजेपी की सरकार आई और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, इसके साथ ही उनकी पहचान भी लोगों के सामने आ गई।
प्रशांत किशोर ने भी अपनी सक्रिय राजनीतिक पारी जदयू के साथ शुरू की थी, लेकिन दो साल में ही वहां से उनका मोहभंग हो गया। बाद में उन्होंने जदयू के उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया। इसके बाद कुछ महीनों तक वे चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम करते रहे, लेकिन अब वे बिहार की राजनीति को नई दिशा देने के लिए 2 अक्टूबर, 2022 से जन सुराज अभियान पदयात्रा पर हैं।