पिछले हफ्ते देश में सस्ते आयातित तेलों की मात्रा में वृद्धि के चलते तेल और तिलहन के थोक मूल्यों में गिरावट आई, खासतौर पर खाद्य तेलों के बाजार में। वहीं मूंगफली के तेल के मूल्यों में सुधार आया, क्योंकि मांग बढ़ने के बावजूद उपलब्धता में कमी देखने को मिली।
व्यापारियों के अनुसार अभी तक देश में मूंगफली और बिनौला के अच्छे तिलहन की कमी को सूरजमुखी के अधिक आयात से पूरा किया जा रहा था। मगर अब नीचे गिरे बाजार मूल्यों के कारण आयात में कमी की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार सूरजमुखी के तेल का आयात इसकी मांग की तुलना में काफी ज्यादा किया गया है। इसका थोक भाव अन्य तेलों के मुकाबले सस्ता है। इसके परिणामस्वरुप अन्य तेलों की बिक्री पर असर पड़ रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर मार्ग से परिवहन समझौते की म्याद समाप्त हो जाने के बाद तेल संघों को नरम तेल के आयात को लेकर सरकार से बात करनी चाहिए।
खाद्य तेलों में कमी
जुलाई और अगस्त महीनों के दौरान सरकार को अर्जेन्टीना और बाकी देशों से कितना खाद्य तेल आया है इसकी जानकारी रखनी चाहिए, जिससे त्योहारों के समय नरम खाद्यतेलों की कमी न हो। सूत्रों के अनुसार बैंकों के ऋण साख-पत्र (एलसी या लेटर आफ क्रेडिट) को चलाते रहने के लिए सोयाबीन एवं सूरजमुखी के आयात की लागत के मुकाबले वह तेल देश के बंदरगाहों पर सस्ते में बेचा जा रहा था। लेकिन, कच्चे पामतेल और पामोलीन के आयात में होने वाला नुकसान इस नुकसान से काफी कम था।
इसके चलते आयातकों को अपने ‘एलसी’ को चलाते रहने हेतु पाम एवं पामोलीन तेल के आयात की तरफ रुख करना पड़ा। इसकी वजह से बंदरगाहों पर यह बड़ी मात्रा में इकठ्ठा हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार जून में पाम एवं पामोलीन का काफी अधिक मात्रा आयात हुआ था। इन खाद्यतेलों के अर्जेन्टीना और ब्राजील से भारत पंहुचने और जहाज को खाली करने में करीब 35 से 45 दिन का टाइम लगता है।
सूत्रों के अनुसार हर साल खाद्यतेलों की मांग में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। खाद्यतेल की कीमतों को कंट्रोल करने हेतु सरकार को केवल थोक बिक्री दाम की गिरावट ही नहीं बल्कि जमीनी हकीकत पर भी ध्यान देना होगा कि थोक बिक्री दाम में गिरावट का फायदा उपभोक्ताओं को मिले। बड़ी कंपनियां अधिक एमआरपी रखती हैं जिसके चलते उपभोक्ताओं को ऊंचे दामों में तेल की खरीददारी करनी पड़ रही है।
यह है भाव
पिछले सप्ताह सोयाबीन दाने और लूज के भाव में 40-40 रुपये की गिरावट देखने को मिली। इस प्रकार सोयाबीन का मूल्य 5,050 से 5,145 रुपये प्रति क्विंटल और लूज का मूल्य 4,815 से 4,910 रुपये प्रति क्विंटल जा पंहुचा।
माल की कमी के चलते मूंगफली तिलहन का भाव 90 रुपये मजबूत होकर 7,865-7,915 रुपये प्रति टिन, मूंगफली गुजरात का भाव 100 रुपये मजबूत होकर 18,850 रुपये प्रति टिन एवं मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 10 रुपये मजबूत होकर 2,735-3,020 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। वहीं कच्चे पाम तेल के भाव में 225 रुपये की गिरावट देखने को मिली और यह 8,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।