Railway : भारत में लोग ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं। रेल यात्रा को यात्रा के लिए सस्ता और आरामदायक माना जाता है। ट्रेन से यात्रा करते समय आपने कई बातों पर ध्यान दिया होगा, जिनके निर्देश पर ट्रेन की गति बढ़ाई या घटाई जाती है। कई बार स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेन की रफ्तार तेज होती है तो कई बार स्टेशन से पहले ही ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है।
दरअसल, स्टेशन से पहले के पहले सिग्नल को होम सिग्नल कहते हैं और यहीं से ट्रेन के ड्राइवर को पता चलता है कि ट्रेन सीधी तेज चलेगी या धीमी। यह काम मैनुअली किया जाता है। यानी सिग्नल पर लाइट स्टेशन मास्टर अपने केबिन से खुद करेंगे। इसके अलावा अन्य सभी सिग्नल अपने आप संचालित होते हैं।
होम सिग्नल पर कुल तीन चार रंगीन लाइटें लाल, पीला, हरा और सफेद होती है। बाकी तीन लाइटें सामान्य ट्रैफिक लाइट की तरह काम करती हैं। बस रेलवे के संदर्भ में, उनका अर्थ थोड़ा बदल जाता है। लाल बत्ती का स्पष्ट अर्थ है स्टॉप सिग्नल। हरी बत्ती का मतलब है कि ट्रेन मेन लाइन पर बिना धीमे हुए प्लेटफॉर्म को पार कर सकती है। पीली बत्ती का मतलब है कि चालक को धीरे चलने को कहा जा रहा है।
सफेद लाइट का क्या काम?
सफेद रोशनी इन तीन रोशनी से अलग तिरछी है। यह हमेशा पीली रोशनी से जलता है। यह लाइट उन स्टेशनों पर जलाई जाती है जहां कई प्लेटफॉर्म होते हैं और ड्राइवर को बताना होता है कि उसे किस लाइन से स्टेशन में प्रवेश करना है। वहीं, पीली बत्ती से इसे चालू करने का मकसद ट्रेन को धीरे-धीरे स्टेशन के अंदर लाना है। इस प्रकाश को मार्ग सूचक कहा जाता है। इस बात की जानकारी खुद रेल मंत्रालय ने एक ट्वीट के जरिए दी है।