ऊपर आसमान में उड़ रही जहाज हेलीकॉप्टर को देखकर लोग बचपन में यही सोचते हैं और इसे चलाने के लिए लोगों को लोको पायलट (Pilot) बनना पड़ता है. लेकिन लोको पायलट नहीं बन सकता है जी कैंडिडेट के पास कमर्शियल पायलट सर्टिफिकेट होता है. इस सर्टिफिकेट को सर्टिफाइड अथॉरिटी द्वारा दिया जाता है जो डायरेक्टरेट ऑफ़ जनरल ऑफ़ सिविल एवियशन इन इंडिया का है. तो आइए इस पूरे प्रोसेस के बारे में विस्तार से समझते है..
पायलट बनने के लिए जरूरी बातें
अगर आप पायलट (Pilot) बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आप 12वीं के बाद पायलट ट्रेंनिंग कोर्स कर लें. इसके अलावा आप वायु सेवा के पायलट की ट्रेनिंग लेकर एनडीए की तैयारी कर सर्टिफिकेट अपने पास रखें इसकी तैयारी 12वीं में ही होती है और आयु सीमा 17 वर्ष से शुरू हो जाती हैं इसमें फिटनेस और मेडिकल सर्टिफिकेट भी अनिवार्य माना जाता है.
ये हैं टॉप स्कूल
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी
- मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब
- राजीव गांधी अकादमी आफ एविएशन टेक्नोलॉजी
- नेशनल फ्लाइंग ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट शामिल है.
- इसमें कैंडिडेट्स को चार तरह के पायलट बनने का मौका मिलता है. जिसमें एयरलाइन पायलट, कमर्शियल पायलट, चार्टर पायलट, फाइटर पायलट और उनकी सैलरी भी अलग-अलग तय की जाती है.
जरूरी योग्यता
- कैंडिडेट किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास हो इसके बाद उसे NDA की एग्जाम क्वालीफाई करने के बाद IAF फ्लाइंग ब्रांच ज्वाइन करना होगा. इसके बाद उसे SSB का इंटरव्यू देना होगा. जहां उसे दो तरह के एग्जाम को क्वालीफाई करना होगा जिसमें पहले ऑफिसर इंटेलिजेंस टेस्ट और दूसरा डिस्कशन टेस्ट देना होगा. इसके बाद उसका पर्सनल इंटरव्यू लिया जाएगा.
- अब कैंडिडेट से लिखित परीक्षा के अलावा मशीन टेस्ट लिया जाएगा जिसमें उसकी इंस्ट्रूमेंट को समझने और पढ़ने को लेकर समझ देखी जाएगी.
- इसके बाद उसका मेडिकल टेस्ट लिया जाएगा. जिसमें उसकी लंबाई, आंखों की वजन गहराई और तमाम तरह की फिजिकल टेस्ट लिए जाते हैं.
मिलती है इन डिपार्टमेंट में जॉब
- जिन कैंडिडेट को प्राइवेट पायलट के रूप में रखा जाता है वह केवल प्राइवेट जेट को ही उड़ा सकते हैं और उनकी जरूरत फाइनेंशियल मजबूत लोगों को पड़ती है और उन्हें के लिए इन्हें रखा जाता है.
- अगर कैंडिडेट फ्लाइट इंस्ट्रक्टर पद पर नियुक्त होता है तो वह बाकी सभी लोगों को पायलट ट्रेनिंग करता है जैसे ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में काम दिया जाता है वह देश के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर में जाकर लोगों को ट्रेन करता है.
- इनकी सैलरी उनके पद के अनुसार अलग-अलग तय की जाती है जो 20000 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक होती है.