भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था. भारत एक ऐसा जगह है जहां से दुनिया के कई धर्मों का उत्पादन हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में भारत अग्रणी रहा था, भारत से कई महान विद्वान और महान धर्मगुरु पैदा हुए लेकिन, साथ ही में भारत ने कई अतिक्रमण भी झेले, जिनमें से एक था मुगलों का और आफगानों का, जिसके कारण भारत ने कई त्रासदियां झेली उनमें से एक त्रासदी है नालंदा विश्वविद्यालय की खात्मे की जिसको बख्तियार खिलजी ने जलवा दिया था।
कौन था बख्तियार खिलजी: बख्तियार खिलजी का पूरा नाम इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख़्तयार ख़िलजी था, और यह कुतुबुद्दीन ऐबक का सैन्य सिपहसालार था। एक बार बख्तियार खिलजी की तबीयत बहुत खराब हुई और किसी भी हकीम से वह ठीक नहीं हुआ तब नालंदा विश्वविद्यालय जो कि 300 कमरे का था और उसमे 9 मंजिल का एक भव्य पुस्तकालय था ,
यह विश्वविद्यालय दुनिया का पहला विश्वविद्यालय माना जाता है जिसमें पढ़ने के लिए कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता था, और देश-विदेश से लोग यहां पढ़ने आया करते थे।उस विश्वविद्यालय से आयुर्वेद के हकीम को बुलाया गया लेकिन बख्तियार खिलजी ने शर्त रखी कि वह कोई भी हिंदुस्तानी दवाई नहीं लेगा,तब इन्होंने उसे कुरान पढ़ने के लिए बोला जिससे कुछ दिन बाद वह ठीक हो गया।
दरअसल उस कुरान के पन्नों में एक दवाई लगी हुई थी जिसकी वजह से वह ठीक हो गया इसके बाद खुश होने की बजाय बख्तियार खिलजी को यह जानकर ईर्ष्या हुई की हिंदुस्तानी उपचारकर्ता उसके हकीमो से ज्यादा काबिल हैं जिस वजह से उसने नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगा दी,
3 महीने तक इस आग में दुनिया की बेहतरीन किताबें जलती रही, यह विचार करने वाली बात है कि अगर वह किताब में होती तो आज भारत की स्थिति कुछ और ही होती।