डेस्क : बिहार में अभी तक आपने सरकारी स्कूल की अव्यवस्थाओं के बारे में ही सुना है. लेकिन ज्यादातार लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना तक नहीं चाहते, सिवाय उनके जिनकी आर्थिक स्थिति प्राइवेट स्कूलों का खर्च उठाने लायक तक नहीं है. लेकिन अब गोपालगंज जिले में एक IAS अधिकारी की प्रेरणा से कई सरकारी स्कूलों का माहौल बदलने लगा है. यहां कई ऐसे विद्यालय भी तैयार हो गए हैं जो किसी भी मायने में बड़े निजी स्कूलों से भी कम नहीं हैं.
बिहार गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी की पहल व प्रेरणा से कई स रकारी स्कूलों का माहौल भी बदलने लगा है. शिक्षकों के दृढ़ संकल्प से यह संभव होता भीबनजर आ रहा. प्राइवेट स्कूल नहीं यहां पर सरकारी स्कूल के छात्र बन रहे स्मार्ट बनने लगे हैं. दरअसल, जिलाधिकारी ने प्रत्येक प्रखंड में चार-चार सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए लक्ष्य शिक्षा विभाग को निर्धारित भी किया है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में भी बदलाव किया जा रहा है.
सिधवलिया प्रखंड के कबीरपुर में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जो हर मामले में प्राइवेट स्कूलों को मात देते दिकग रहा है. इस स्कूल में प्रवेश पाने के लिए बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़ देते हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय कबीरपुर स्कूल बच्चों की ना सिर्फ पढ़ाई पर बल्कि उनके बैठने से लेकर उनको संस्कार देने से भी एक नजीर बना हुआ है.
इस सरकारी स्कूल ने अपनी एक अलग छवि बनाई है. यही वजह है कि प्राइवेट स्कूलों को दरकिनार कर लोग अपने बच्चों का यहां पर एडमिशन कराना चाहते हैं. यह स्कूल दूर-दूर तक बेहतर शिक्षा के लिए जाना और पहचाना भी जाता है. यहां शिक्षक बच्चों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ मानसिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास पर भी विशेष बल भी देते हैं. शिक्षकों द्वारा छात्रों के विकास के हर संभव प्रयास ने ही इस विद्यालय को एक विकसित विद्यालय के रूप में स्थापित भी किया है.
साल 2008 से ड्रेस कोड में आते हैं विद्यालय : यहां वर्ष 2008 से ही पढ़नेवाले छात्र-छात्राएं ड्रेस कोड में आते हैं. वहीं सिधवलिया प्रखंड का पहला स्मार्ट क्लास वाला ही विद्यालय है, जो अन्य सरकारी स्कूलों के लिए एक नजीर है. विद्यालय में नयी-नयी गतिविधियों के माध्यम से खेल-खेल में पढ़ाई को लेकर बच्चे विद्यालय में बने रहने के लिए उत्सुक भी रहते हैं.