Generic Medecines : आज के समय में अगर कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो तो उसके इलाज के लिए काफी खर्चा लग जाता है। क्योंकि इलाज आजकल काफी महंगा हो चुका है। इसके अलावा महंगी दवाइयाँ होने के कारण आदमी आर्थिक रूप से कमजोर होता जा रहा है। लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दवाइयां खरीदने में ही चला जाता है। लोगों की इसी समस्या को देखते हुए भारत सरकार जेनेरिक दवाइयाँ खरीदने पर जोर दे रही है।
जेनेरिक दवाई दूसरी दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती है। सस्ती होने के कारण लोगों को इन्हे खरीदने पर आर्थिक रूप से परेशान नहीं होना पड़ता है। इसीलिए लोगों को जेनेरिक दवाइयों के प्रति जागरूक किया जा रहा है ताकि उनका खर्चा कम हो सके। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि जेनेरिक दवाइयां क्या होती है और ब्रांडेड दवाओं की तुलना में उनकी कीमत कम क्यों होती है?
क्या होती है जेनरिक दवाई?
जेनेरिक दवाएं वह होती है जिनका कोई ब्रांड नाम नहीं होता है। इन दवाओं को साल्ट के नाम से पहचाना और बेचा जाता है। कई सारी ऐसी कंपनियां है जो जेनेरिक दवाएं बनती है और उन्होंने देश में अपना नाम भी बना लिया है।
इसके बाद भी उन कंपनियों द्वारा बेची जाने वाली जेनेरिक दवाएं काफी सस्ती आ रही है। भारत सरकार प्रधानमंत्री जन औषधी योजना के अंतर्गत देश में जेनेरिक दवाओं के स्टोर को खोल रही है। जेनेरिक दवाएं भी ब्रांडेड दवाओं की तरह ही असरदायक हैं।
आखिर क्यों सस्ती होती है जेनेरिक दवाएं?
इन दवाओं के सस्ते होने के पीछे एक नहीं बल्कि कई सारे कारण है। इन दवाओं के सस्ती होने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि इनके रिसर्च और डेवलपमेंट में कंपनी को किसी तरह का खर्च नहीं करना होता है। दवा बनाते समय सबसे ज्यादा खर्च रिसर्च और डेवलपमेंट में ही होता है। इसलिए इसका रिसर्च और डेवलपमेंट पहले ही हो चुका होता है।
इसके अलावा जेनेरिक दवाओं का कोई भी प्रमोशन नहीं किया जाता है। इनकी पैकेजिंग में भी ज्यादा खर्च नहीं आता है। इन दवाओं का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाता है। एक साथ अधिक उत्पादन के कारण इनकी कीमत काफी कम होती है।