Tenate Rights : आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसका अपना खुद का एक घर हो, लेकिन बढ़ती हुई महंगाई और प्रॉपर्टी के महंगे दाम के कारण ये सपना पूरा नहीं हो पता है। शहर में तो घर लेना और भी ज्यादा मुश्किल हो गया है और इसलिए लोग किराए के घर में रहते हैं। लेकिन आज भी शहरों में एक बड़ी आबादी ऐसी है जो किराए के मकान में रहती हैं।
लेकिन ऐसे में कई मामले सुनने में आते है जिसमें किराएदार मकान मालिक के घर पर दावा ठोक देता है। लेकिन जब मकान मालिक किरायेदार को घर खाली करने के लिए कहता है। तब किराएदार कहता है कि वह इस घर में लंबे समय से रह रहा है और वह इसे खाली नहीं करेगा।
तो सवाल यह खड़ा होता है कि अगर कोई किरायेदार लंबे समय से मकान में रह रहा है तो वह उस घर पर दावा कर सकता है या नहीं? आइये आपको बताते हैं कि इस बात को लेकर कानून क्या कहता है और क्या नियम बने हुए हैं?
दरअसल, सबसे पहले तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि अगर कुछ खास परिस्थितियों को छोड़ दें, तो किराएदार मकान मालिक की प्रॉपर्टी पर अपना दावा नहीं कर सकता है। इसके लिए आपको लिमिटेशन एक्ट 1963 को जानना होगा।
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के एडवर्स पॉजेशन में जो जानकारी दी गई है, जिसके अनुसार अगर कोई किरायेदार 12 साल या उससे ज्यादा एक प्रॉपर्टी में रह रहा है और वह संपत्ति उसके कब्जे में है तो वह उसे बेच सकता है।
इसका मतलब है कि अगर किसी किराएदार के पास घर का एडवर्स पजेशन है तो वह उस घर का मालिक बन सकता है। आपको बता दें कई बार लिमिटेशन एक्ट 1963 में ऐसा बताया गया है कि निजी और अचल संपति पर लिमिटेशन की कानूनी अवधि 12 साल है और ये समय कब्जे के पहले दिन से शुरू हो जाता है।
बचने का है ये तरीका
अब आप ऐसा सोच रहे होंगे कि अगर आप मकान मालिक है तो आपको इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए क्या करना चाहिए? इसलिए अगर आप अपना घर या कोई प्रॉपर्टी किराये पर दे रहे है तो इसका रेट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। ये ही एकमात्र ऐसा सबूत बन सकता है जिसमें ये पता चलेगा कि आपने अपना घर, दुकान या प्रॉपर्टी किराये पर दी है।