Why Auto Rickshaw : एक समय था जब सड़कों पर करोड़ों की आने वाली गाड़ियां नहीं चला करती थी तब से लोगों को उनके ऑफिस से लेकर घर तक, घर से लेकर स्टेशन पहुंचने का काम ऑटो ही करता आ रहा है. आज भले ही बड़े-बड़े शहरों में मेट्रो, लोकल ट्रेन या फिर बसें शुरू कर दी गई है. लेकिन आज भी लोग ऑटो (Auto) का इस्तेमाल करते है.
हालांकि, कंपनियों ने इसे भी पेट्रोल और डीजल के बाद इलेक्ट्रिक और सीएनजी वेरिएंट में पेश करना शुरू कर दिया है. खैर इसे कई जगहों पर टेम्पो (Tempo) के नाम से भी जानते हैं. लेकिन लोग आज भी इस बात को समझ नहीं पा रहे है इसे ऑटो और टेम्पो क्यों कहते हैं? तो वहीं कुछ लोग टेम्पो को म्यूजिक टेम्पो से जोड़कर रखें हुए हैं. तो आइये आज हम इसके बिच का अंतर जानते है?
दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का एक बड़ा हिस्सा कोरा कलाम यहां पर लोग सवालों का जवाब दिया करते है. ऐसे में अगर कोई एक सवाल यहां पूछा जाता है तो कई जवाब निकलर आते है. इसी तरह इस सवाल का जवाब भी कई सारे लोगों ने अपने तरीके से दिया है. तो आइए इस बारे में जानते हैं.
म्यूजिक में टेम्पो शब्द का यूज
म्यूजिक में भी टेम्पो (Tempo) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अलग-अलग जगह पर ऑटो रिक्शा को टेंपो के नाम से जाना जाता है. संगीत के दीवाने और संगीत को चाहने वाले लोग इस टेम्पो को अच्छे से समझते हैं जबकि आम लोग इसे केवल आवा गमन अपने सुविधा के लिए ही जानते हैं. तो चलिए जान लेते हैं .
क्या मिला इसका जवाब ?
कोर पर एक निवेश नाम के शख्स ने टेम्पो (Tempo) को लेकर जवाब देते हुए कहा कि, टेम्पो को जिसे विडाल एंड सन टेम्पो वर्क जीएमबीएच (Vidal & Son Tempo Work GmbH) के नाम से भी लोग जानते हैं. दरअसल, इसकी शुरुआत जर्मन की एक गाड़ी बनाने वाली कंपनी जिसकी शुरुआत 1924 में विडाल नाम से हुई थी. इस दौरान से यह जर्मनी में काफी फेमस हो गई थी. जिसे लोग ऑटो रिक्शा और टेंपो के नाम से जानने लगे थे. वहीं 1930-1940 के दौरान से इसका इस्तेमाल कंपनी ने छोटी मिलिट्री गाडियां बनाने में करने लगी थी.
छोटे-बड़े शहरों में तेज चलन
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 1960 के दशक में यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थी और इसकी शुरुआत 1958 में फिरोदिया ग्रुप द्वारा मुंबई के गोरेगांव की फैक्ट्री से किया गया था. तब से लेकर इनका इस्तेमाल लोगों के बीच काफी रहा और लोगों को कम समय में उनके ऑफिस, घर स्टेशन तक पहुंचने में इनका बहुत बड़ा योगदान राहत आ रहा है.
लोगों के एक बड़ा ऑप्शन
जब से मार्केट में ऑटो (Auto) की शुरुआत हुई तब से लेकर आज तक दिल्ली, मुंबई, गुजरात, हैदराबाद अलग-अलग राज्यों के शहरों, गलियों, मोहल्ले, मार्केट में आसानी से देखने को मिल जाते हैं. हालांकि, आज शहरों में मेट्रो लोकल ट्रेन और इलेक्ट्रिक बस चलाई जा रहे हैं लेकिन लोग इतना विकल्प होने के बाद भी ऑटो को ही चुनना पसंद करते हैं. एक तरफ देखा जाए तुम अब मार्केट से धीरे-धीरे इंक खत्म हो रहा है लेकिन फिर भी इन्हें कंपनियां अलग वर्जन में अपडेट कर मार्केट में लॉन्च कर रहे हैं ताकि प्रदूषण को रोका जा सके और इन्हें चलन में बनाया जा सके.