डेस्क : अगर आप भी अभी तक पेट्रोल-डीजल से चलित वाहन का उपयोग कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। क्योंकि सरकार ने इस वाहन के लिए एक बड़ा फैसला लेने जा रही हैं, मालूम हो कि बीते साल 2021 में ग्लासगो शिखर सम्मेलन में भारत ने घोषणा की, कि वह 2030 तक रिन्यूबल एनर्जी पर अपनी निर्भरता को 50% तक बढ़ाकर 1 बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कटौती करेगा। इसके साथ ही यह भी घोषणा की गई थी कि 2070 तक देश का लक्ष्य जीरो-शून्य उत्सर्जन हासिल करना है।
इसी को लेकर हाल ही में जारी बजट के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ घोषणाएँ कीं जो उस एजेंडे में फिट लगती हैं। मंत्री ने खुलासा किया कि देश में प्रतिबंधित क्षेत्र स्थापित किए जाएंगे जहां आईसीई वाहनों (ICT Vehicle )की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही “शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, शून्य जीवाश्म ईंधन नीति के साथ विशेष गतिशीलता क्षेत्र पेश किए जाएंग।” फिलहाल इस बात से पर्दा नहीं उठ पाया है, कि ICE वाहनों के लिए यह नो-गो नीति कब लागू होगी, लेकिन यहाँ पर विचार करने के लिए बहुत कुछ है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो पेट्रोल कारें जो यूरो 4 उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करती हैं, और डीजल कारें जो यूरो 6 मानकों को पूरा नहीं करती हैं, आपको बता दें, भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता है। राजधानी नई दिल्ली ने इसे नियंत्रण में रखने के लिए पहले ही कानून लागू कर दिए हैं, जिसमें एक निश्चित आयु से अधिक की पेट्रोल और डीजल कारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और पुरानी कारों को ईवी में परिवर्तित करना कानूनी बना दिया गया है।
लेकिन एक बात यह भी सच है कि देश के किसी भी शहर में वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है, कम से कम अभी नहीं, क्योंकि यह रोजमर्रा की जिंदगी को पूरी तरह से बाधित कर देगा। वहीं BS4-अनुपालन कारों के लिए CNG किट को प्रयोग करने की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है, और BS6 कारों के लिए समान कानून जल्द ही प्रस्ताव किया जाएगा।