Petrol Diesel Price: कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में कमी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में बदलाव तब होगा जब सरकारी तेल कंपनियाँ पिछले साल के घाटे की हानि को पूरा करेंगी। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी कि तीनों सरकारी तेल कंपनियाँ – इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) – पेट्रोल और डीजल की दैनिक कीमतों में बदलाव रोक लगाए हुए हैं।
इसके पीछे का कारण है कि उन्होंने अपनी खुदरा कीमतें बदलने की पर्याप्त लागत के मुताबिक़ कोई संशोधन नहीं किया है। असल में ये कंपनियाँ कच्चे तेल के मूल्यों से अधिक खुदरा मूल्यों पर पिछले साल के घाटे की हानि को अब कम कर रही हैं।
अधिकारियों के अनुसार, तीनों कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही से ही पेट्रोल पर मार्जिन कमाना शुरू कर दिया। जबकि डीजल की बिक्री में उन्हें उस समय भी हानि हो रही थी। हालांकि, पिछले महीने से डीजल पर भी पेट्रोलियम कंपनियों का मार्जिन सकारात्मक हो गया और हर लीटर पर 50 पैसे का लाभ हुआ है।
वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें मार्च 2022 में 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं, जो कि अब 75-76 डॉलर तक आ गई हैं। कच्चे तेल के ऊंचे दामों के कारण ही तेल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर 17.4 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 27.7 रुपये का घाटा हुआ है। हालांकि फिर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कीमतें थोड़ी कम होने के कारण तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर प्रति लीटर 10 रुपये का मार्जिन कमाया है, लेकिन डीजल पर प्रति लीटर 6.5 का घाटा रहा।
इसके बाद जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में पेट्रोल पर तेल कंपनियों का मार्जिन 6.8 रुपये प्रति लीटर हो गया, जबकि डीजल पर मार्जिन 0.5 रुपये प्रति लीटर हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि सार्वजनिक तेल कंपनियां पिछले घाटों की भरपाई के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रख रही हैं कि कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक कम रहेंगी या नहीं। वहीं एक अधिकारी ने कहा कि मेरी राय है कि तेल कंपनियां कम से कम एक तिमाही तक कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखेंगी और उसके बाद ही पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में संशोधन का निर्णय लेंगी।