महागठबंधन में वाम दल के आने से मिनी मास्को कहे जानेवाले बेगूसराय में सीट शेयरिंग नहीं होगा आसान

Begusarai CPI

पोलिटिकल डेस्क : बेगूसराय लालू कांग्रेस के महागठबंधन में इस बार वाम दल भी शामिल हो रहे हैं। कुशवाहा की …

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तेघड़ा विधायक के जदयू जाने की इनसाइड स्टोरी जानिये, वरिष्ठ पत्रकार की कलम से

Birendra Mahto Inside Story

पोलिटिकल डेस्क : तेघड़ा के राजद विधायक जनता दल यू में चले गए।यह कोई राजनीतिक आश्चर्य की बात नहीं है। …

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बेगूसराय में सांसद लापता प्रकरण : बेगूसराय के ऐसे सांसद जो सिर्फ चुनाव में ही क्षेत्र आते थे

BEGUSARAI

डेस्क : बेगूसराय में सांसद के लापता होने का पोस्टर चिपकाए जाने का प्रकरण पूर्णतः राजनीतिक रंग ले लिया है। …

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जाने कैसे 20 साल बाद बेगूसराय राजद को मिला नया जिलाध्यक्ष मोहित यादव

Mohit Yadav RJD Begusarai

बेगूसराय : शुक्रवार को रास्ट्रीय जनता दल बिहार के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह के द्वारा पार्टी मुख्यालय से बिहार प्रदेश …

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किसानों के लिए दर्द बना है थर्मल का एश यार्ड

Baruani Thermal News

बेगूसराय : बिहार मे जल जीवन हरियाली पर आजकल जोर है. लेकिन इसके रक्षक परेशान हैं. जमीन उसे जोतनेवाले की इज्जत से जुडी होती है. रामदीरी बेगूसराय जिले का जीवंत गांव रहा है. पहलवानों का गांव, मिहनतकशों का गांव, किसानों का गांव, ठाकरबाडियों का गांव .दबंगता का गांव. आज इसी रामदीरी के कसहा दियारा की फसल जेसीबी से उजाडी जा रही है. 500 एकड में लगी फसल को ऐश यार्ड (राख घर) बनाने के नाम पर उजाडा जा रहा है.

मामला बरसों से लंबित है. एनटीपीसी ने अपने थर्मल कारखाने से निकलने वाली वर्ज्य पदार्थ रखने के लिए गंगा के अविरल धारा से सटी कसहा दियारे की जमीन अर्जित करने की बात की. पीडित रामदीरी , मरांची, जगतपुरा, चकबल्ली के किसानों ने जीविका छीनने की बात कर दियारे की जमीन अधिग्रहण का विरोध किया.किसानों का तर्क है कि इससे गंगा का पानी प्रदूषित होगा और बीमारियों का प्रकोप बढेगा.जमीन छिन जाने से हजारों परिवार की जीविका प्रभावित होगी. राख उडकर बगल की हजारों बीघे अन्य जमीन को गरस लेगी.किसान त्राहिमाम स्थिति मे हैं.किसानों ने पिछले बरसों में विरोध किया तो मामला रोका गया. किसान पीडा लेकर हाईकोर्ट तक गए.

इस साल फसल लगी.किसानों ने फसल बोया. अब लगी हरी फसल पर जेसीबी चल रही है. किसानों की कन्सट्रक्शन कपनी के कर्तधर्ता सुन नहीं रहे हैं रामदीरी के अभिजीत मुन्ना , अमित रौशन , मोनू गौतम , राहुल कुमार आदि आवाज उठा रहे है बेरहम प्रशासन, जिले और क्षेत्र के प्रतिनिधि, एमपी, एमएलए ,राजनीतिक दलों के नेताओं की चुप्पी , मौन रहना जिले के हित में नहीं है. इस आवाज को न्याय मिले.

इसके लिए जिले के लोगों को आगे आना चाहिए. राखघर के लिए सुरक्षित वेकल्पिक जमीन की व्यवस्था कराई जाय. किसानों को कोर्ट का फैसला आने तक राहत मिले.रामदीरी जब त्राहिमाम करेगा तो जिला डोलने लगेगा. किसानों को बचावें,खेती को बचावें

राजनीति की भोंडी रोटी सेकने से नहीं श्री बाबू जैसी इच्छाशक्ति से बदलेगी काबर की सूरत

राजनीति की भोंडी रोटी सेकने से नहीं श्री बाबू जैसी इच्छाशक्ति से बदलेगी काबर की सूरत

बेगूसराय मंझौल : काबर टाल के मुद्दे को लेकर शासक दल भाजपा के नेताओं की पहलकदमी तेज हुई है.पिछले वर्ष राज्यसभा के सदस्य राकेश सिन्हा ने इस मुद्दे को सदन में उठाया था. तब मामले को उठाने को लेकर समस्या समाधान के प्रति लोगों की आशा जगी थी.अब विधान पार्षद रजनीश कुमार ने मुंगेर में प्रमंडलीय बैठक में मुख्यमंत्री से जल जीवन हरियाली योजना से इसके विकास करने की बात कही.

मुद्दा से अलग नेताओं के हवाई जानकारी और गलत व्याख्या का ही परिणाम है कि काबर टाल का मुद्दा 40 बरसों से अटका पडा है. आजादी बाद बिहार के चीफ मिनिस्टर डा. श्री कृष्ण सिंह ने इस समस्या की नब्ज को पहचाना था.प्रथम पंचवर्षीय योजना में ही इस इलाके के जलजमाव की समस्या को खत्म करने की बात हुई.1952 से55 के बीच तीन बरसों में ही काबर के मुहाने से बूढीगंडक नदी तक नहर निकाल कर इस इलाके की तकदीर बदल दी गई. जलप्लावित क्षेत्र खेती के लायक बन गए. जमीन की बिक्री बडे पैमाने पर हुई. तीन बरस में ही योजना सफल हुई.

अब 1980 का दशक.बिहार सरकार और जिला प्रशासन ने गजट के माध्यम से खेती लायक जमीन को भी पक्षी विहार की सीमा में बांध दिया.30 बरस से ज्यादा का षमय गुजर गया. बिहार में कांग्रेस, कथित सामाजिक न्याय, भाजपा और सुशासन की सरकार बदलती बनती रही. काबर की योजना मुंह चिढाती रही. मुख्यमंत्री बदलते रहे.कहां श्री बाबू ने तीन बरस में योजना बना ,उसपर काम कर ,उसे पूरी कर इलाके की तकदीर बदल दी थी.कहां आज की सरकारें.

अब बात आज के नेताओं के लिए. काबर की समस्या वहां पानी जमाकर खेती लायक जमीन को डुबोकर रखने की नहीं होनी चाहिए. इसको योजना बद्ध विकास की जरूरत है.. काबर की जमीन के स्वामित्व विवाद से है.किसान की जमीन उसके जीवन यापन से लेकर मान सम्मान से जुडा है.सरकारी अधिकारी ने पक्षी विहार के गजट में इतनी भूमि डाल दी है कि उसका निबटारा सदियों में संभव नहीं है.

काबर के पर्यावरण बचाने,वहां के पानी,पक्षी,पेड की चिन्ता से हमारे जैसे लोग चार दशक से जूझ रहे हैं . किसान तबाह हो गए. पलायन कर गए. मछुआरों ने दूसरा धंधा अपना लिया. काबर की समस्या के समाधान के लिए श्री बाबू जैसी इच्छा शक्ति चाहिए न कि राजनीति की भोंडी रोटी सेंकनेवाले.

नववर्ष को लेकर जिलावासियों में जश्न मनाने की धूम, स्वागत के लिए पिकनिक स्पॉट तैयार

नववर्ष को लेकर जिलावासियों में जश्न मनाने की धूम, स्वागत के लिए पिकनिक स्पॉट तैयार

बेगूसराय : पुराने साल 2019 की विदाई एवं नव वर्ष 2020 के आगमन में केवल कुछ समय रह गया है को इसको लेकर लोगों में जश्न मनाने की धूम मची है। युवा हो या वृद्ध, छात्र हो या शिक्षक, व्यवसायी हो या कामगार, गरीब हो या अमीर सभी के लिए नव वर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा। लोग अपने-अपने तरह से नववर्ष के आगमन का स्वागत व जश्न की तैयारी में लोग जुटे हैं। इसके लिए पिकनिक स्पॉटों की तलाश की जा रही है। नववर्ष को लेकर शहर में जगह-जगह ग्रीटिंग कार्ड दुकानों पर इसके खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है।

ऐसे में बेगूसराय जिले के पिकनिक स्पाटों पर तैयारी जारी है, जिले के मंझौल अवस्थित जयमंगलागढ काबर झील, बेगूसराय शहर में नौलखा मंदिर परिसर, बरौनी रिफाईनरी स्थित इकोलोजिकल पार्क, बखरी स्थित बाबा उजान थान तथा सिमरिया गंगा घाट नव वर्ष मनाने तथा मौज मस्ती करने के प्रमुख साइट हैं ।

जयमंगलागढ

यह बेगूसराय जिले का प्राचीनतम गढ है. लगभग 200 बीघे जमीन का टीला है. यह चारों ओर जलक्षेत्र से घिरा है. टीला पर जयमंगला देवी का मंदिर है. यह ऐतिहासिक मंदिर कई सदी पुराना है.नव वर्ष पर लाखों लोग यहां जुटकर देवी मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं.टीला का वन क्षेत्र भी पिकनिक मनानेवालों के लिए मुफीद जगह है. यहां लोग खाना बनाते हैं.मेला का आनंद लेते हैं.

मंदिर पहुंचने का रास्ता आसान है। बेगूसराय से होकर एसएच 55 के रास्ते नित्यानंद चौक मंझौल पहुंचें। यहां से गढ़पुरा पथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर भव्य जयमंगला द्वार से बाएं जयमंगलागढ़ है। हसनपुर-गढ़पुरा की ओर से भी जयमंगलागढ़ आने का रास्ता है। मंझौल से ई रिक्शा या मोटर से पहुंचा जा सकता है।

काबर झील

जयमंगलागढ के चतुर्दिक फैले काबर झील में लोग नव वर्ष पर नौका विहार का आनंद लेते हैं.झील तट पर हजारों लोग पहुंचते हैं.लोग झील क्षेत्र में पहुंचकर बीच के रही जो ऊंचे स्थान हैं पर भी पिकनिक मनाते हैं ।

बाबा उजान थान

बाबा उजान थान बखरी में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चूका है, इस स्थल में नव वर्ष के आगमन पर तीन दिवसीय मेले का शुभारम्भ हो गया है , इस बार लोगों के लिए मनोरंजन के भरपूर साधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। यहां आयोजन समिति की ओर से मनोरंजन के साथ-साथ खाने पीने के लिए लजीज व्यंजनों की भी विशेष तौर पर इंतजाम किया जाएगा। जबकि पुराने वर्ष की विदाई व नववर्ष आगमन के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन की व्यवस्था की गई है। जहां लोग अपने परिवार व बच्चों के साथ नए साल का भरपूर लुत्फ उठा सकेंगे।

नौलखा मंदिर

नौलखा मंदिर अपनी भव्य निर्माण शैली को लेकर धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल के रूप में जिला ही नहीं आसपास के जिलों में भी ख्याति प्राप्त कर चुका है, बेगूसराय शहर का नौलखा मंदिर शहरवासियों का नव वर्ष उत्सव मनाने का मुफीद स्थल बनकर उभरा है. मंदिर परिसर और बगल की मठ की गाछी में नव वर्ष के मौके पर हजारों की संख्या में लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं, वहां मेला लगा रहता है ।

सिमरिया गंगा घाट

सिमरिया गंगा घाट में भी बड़ी संख्या में वर्ष के पहले दिन जिले का प्रसिद्ध सिमरिया गंगा घाट में भी बड़ी संख्या में लोग गंगा में डुबकी लगाकर पूरे वर्ष सुखमय जीवन के लिए मां गंगा की अाराधना की. गंगा स्नान के बाद सिद्धश्रम स्थित चौंसठ योगिनी मां काली के दर्शन कर नव वर्ष के मंगलमय होने की कामना की.

शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर बरौनी रिफाइनरी के प्लांट के पास रिफाइनरी द्वारा निर्मित एक सुन्दर पार्क है। नववर्ष के मौके पर आमलोगों को पिकनिक मनाने के लिए खोला जाता है रिफाईनरी इकोलोजिकल पार्क में रिफाईनरी कर्मी मूलतः पहुंच पाते हैं ।

आसान नहीं है नए भाजपा जिलाध्यक्ष ‘राजकिशोर सिंह’ की राह, जूझना पड़ेगा अनेक चुनौतियों से

आसान नहीं है नए भाजपा जिलाध्यक्ष 'राजकिशोर सिंह' की राह, जूझना पड़ेगा अनेक चुनौतियों से

बेगूसराय : भाजपा के बेगूसराय जिलाध्यक्ष बने राजकिशोर सिंह के समक्ष अनेक चुनौतियां होंगी. आर एस एस की पृष्ठभूमि से लाकर दलीय महत्वाकांक्षांओं से भरे नेताओं को काबू में रखने की जिम्मेदारी भी इनपर होगी.सबसे महत्वपूर्ण बात होगी कि वेै संगठन, सरकार, चुनाव, कार्यकर्ता और गुटीय क्षत्रपों के संरक्षण से किस तरह से निबटते हैं.अगले वर्ष बिहार में विधान सभा का चुनाव है. भाजपा के गुटीय नेताओं के अपने अपने हित हैं. ऊपर तक उनकी लाबी है.कार्यकर्ताओं को अपने हित में पोषित करनेवाले नेता उनके सांगठनिक राह में रोडे बने रहेंगे.

वे इसपर रोलर चलाकर कितने समतल बना पाते हैं.यह देखना होगा.दलीय एकता और अनुशासन के साथ संघ की छडी भी उनके हाथ रहेगी. बच्चों को स्कूल में अनुशासित रखने में माहिरता हासिल इस सख्श को दलीय व्यवस्था चलाने में कितनी सफलता मिल पाती है.यह आगे का समय बतायेगा.

भाजपा की गुटबंदी का खामियाजा सांसद सह केन्द्रीय मंत्री को भी भुगतना पडा जब बखरी के कालेज स्थापना के आवेदन की खबर दूसरे कथित गुट ने मीडिया तक पहुंचाकर दल और उनकी किरकिरी करा दी.

भाजपा का सांगठनिक और जनाधार विस्तार पिछले बरसों से जिले में उछाल में है.कई सामाजिक तबके उसके साथ जुडे. कभी सीपीआई और कांग्रेस के वोट रहीं दलित, पिछडी और सवर्ण जातियों का जमावडा राष्ट्र वाद और नमो शाह के करिश्माई नेतृत्व की वजह से भाजपा से जुडती रही.भाजपा संगठन और प्रभाव के इस विस्तारीकरण को बचाए रखने और बढाने की जिम्मेवारी भी होगी.

सीपीआई जैसी पार्टियों के जिसके नवोदित नेता देशभर में भाजपा विरोध के रोल माडल हैं .उनसे जूझना इनकी चुनौती होगी. आनेवाले साल में विधानसभा चुनाव को लेकर सफलता के झंडे गाडने से लेकर नेताओं के महत्वाकांक्षा पर अंकुश उनकी प्राथमिकता हो सकती है. जिले में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं.उनके समक्ष अगले विधान सभा चुनाव में उनको जिताकर लाना भी एक चुनौती होगा.

गुटों और खेमे में बंटे बेगूसराय जिला भाजपा की कमान RSS ने अपने हाथ में ले लिया

गुटों और खेमे में बंटे बेगूसराय जिला भाजपा की कमान RSS ने अपने हाथ में ले लिया

बेगूसराय : गुटों और खेमे के खानियों में बंटे बेगूसराय जिला भाजपा की कमान आर एस एस (RSS) ने अपने हाथ में ले लिया है. अमूमन भाजपा के राजनीतिक मंचों और कार्यक्रमों से दूर रहनेवाले राजकिशोर सिंह को बेगूसराय जिला भाजपा के अध्यक्ष बनने के अपने मायने हैं.ऐसी बात नहीं है कि पहली बार कोई आर एस एस खेमे का व्यक्ति इस पद पर बैठा है.जिले में पहले भी आर एस एस से जुडे लोग अध्यक्ष बनते रहे हैं।

इसी बीच देश में राम मंदिर आंदोलनों की वजह से आए नए उभार में जिला में आर एस एस से जुडे रामलखन सिंह को भाजपा ने जिलाध्यक्ष बना कर कम्युनिस्टओं को चुनौती देना शुरू किया.2000 ईं. आते आते जिले में भाजपा ने अपनी ताकत बढाई.असर हुआ कि कभी कम्युनिस्ट और कांग्रेसियों के लिए रणनीति बनाने वाले भोला सिंह बरास्ते जद और राजद भाजपा में पहुंच गए.

यहां से भाजपा ने नई पारी शुरू की.कई तरह के राजनैतिक वैचारिक जीव भाजपारूपी महासागर में गोते लगाने लगे.आने और निकलने का खेल भी होता रहा.भाजपा का जनाधार बढने लगा तो गुटबंदी और खेमेबाजी भी चरम पर पहुंचती गयी. पिछले 2012-13 का भाजपा जिलाध्यक्ष का चुनाव जिन्हें याद होगा तो तब पांच प्रत्याशी खडे हो गए. सबके खेमे के एक अध्यक्ष . जीत तो एक की ही हुई.लेकिन खानियां बनी रह गई. विभिन्न कार्यक्रमों में नेताओं की यह गुटबंदी स्पष्ट दिख जाती थी.

कई भाजपा संस्कृति से अलग के लोग सत्ता ,चुनावी लाभ,टिकट,पद के लिए रूख किए इस ओर भागते चले आए. 2014 का लोकसभा चुनाव भोला सिंह ने जीतकर कम्युनिस्ट और राजद काग्रेस को बैकफुट पर पहुंचा दिया.कम्युनिस्टों का लोप होने लगा और अंततः 2019 के लोकसभा चुनाव में जिले के आधे से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में भाजपा सफल रही. चुनावी गणित की सफलता तो उसे मिली.

लेकिन,गुटबंदी और खेमेबंदी थमने का नाम नहीं लिया. बेगूसराय के चुनाव में कम्युनिस्ट प्रत्याशी को लेकर देशस्तर पर वैचारिक संघर्ष और बहस का केन्द्र बने बेगूसराय पर आर एस एस की नजर पैनी रही. भाजपा के नए अध्यक्ष नवसिखुआ तो नहीं आर एस एस के पृष्ठभूमि के तो हैं ही. जिले के टेढेमेढे राजनीतिक धरातल पर अपनी गाडी कैसे हांकते हैं.यह आनेवाला समय ही बतायेगा. चुनौतियां कई हैं.उसकी चर्चा बाद में.