आसान नहीं है नए भाजपा जिलाध्यक्ष ‘राजकिशोर सिंह’ की राह, जूझना पड़ेगा अनेक चुनौतियों से

बेगूसराय : भाजपा के बेगूसराय जिलाध्यक्ष बने राजकिशोर सिंह के समक्ष अनेक चुनौतियां होंगी. आर एस एस की पृष्ठभूमि से लाकर दलीय महत्वाकांक्षांओं से भरे नेताओं को काबू में रखने की जिम्मेदारी भी इनपर होगी.सबसे महत्वपूर्ण बात होगी कि वेै संगठन, सरकार, चुनाव, कार्यकर्ता और गुटीय क्षत्रपों के संरक्षण से किस तरह से निबटते हैं.अगले वर्ष बिहार में विधान सभा का चुनाव है. भाजपा के गुटीय नेताओं के अपने अपने हित हैं. ऊपर तक उनकी लाबी है.कार्यकर्ताओं को अपने हित में पोषित करनेवाले नेता उनके सांगठनिक राह में रोडे बने रहेंगे.

वे इसपर रोलर चलाकर कितने समतल बना पाते हैं.यह देखना होगा.दलीय एकता और अनुशासन के साथ संघ की छडी भी उनके हाथ रहेगी. बच्चों को स्कूल में अनुशासित रखने में माहिरता हासिल इस सख्श को दलीय व्यवस्था चलाने में कितनी सफलता मिल पाती है.यह आगे का समय बतायेगा.

भाजपा की गुटबंदी का खामियाजा सांसद सह केन्द्रीय मंत्री को भी भुगतना पडा जब बखरी के कालेज स्थापना के आवेदन की खबर दूसरे कथित गुट ने मीडिया तक पहुंचाकर दल और उनकी किरकिरी करा दी.

भाजपा का सांगठनिक और जनाधार विस्तार पिछले बरसों से जिले में उछाल में है.कई सामाजिक तबके उसके साथ जुडे. कभी सीपीआई और कांग्रेस के वोट रहीं दलित, पिछडी और सवर्ण जातियों का जमावडा राष्ट्र वाद और नमो शाह के करिश्माई नेतृत्व की वजह से भाजपा से जुडती रही.भाजपा संगठन और प्रभाव के इस विस्तारीकरण को बचाए रखने और बढाने की जिम्मेवारी भी होगी.

सीपीआई जैसी पार्टियों के जिसके नवोदित नेता देशभर में भाजपा विरोध के रोल माडल हैं .उनसे जूझना इनकी चुनौती होगी. आनेवाले साल में विधानसभा चुनाव को लेकर सफलता के झंडे गाडने से लेकर नेताओं के महत्वाकांक्षा पर अंकुश उनकी प्राथमिकता हो सकती है. जिले में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं.उनके समक्ष अगले विधान सभा चुनाव में उनको जिताकर लाना भी एक चुनौती होगा.