बेगूसराय में सांसद लापता प्रकरण : बेगूसराय के ऐसे सांसद जो सिर्फ चुनाव में ही क्षेत्र आते थे

डेस्क : बेगूसराय में सांसद के लापता होने का पोस्टर चिपकाए जाने का प्रकरण पूर्णतः राजनीतिक रंग ले लिया है। अब पक्ष और विपक्ष के लोग खुलकर समर्थन और विरोध में आ चुके हैं। लेकिन इन सभी चीजों के लिए आपके लिए द बेगूसराय ने कुछ खास लाया है। खास इसलिए कि जहां महज चार महीने में कोरोना काल में क्षेत्र ना आने बाले सांसद के लिए कोंग्रेस कार्यकर्ता के द्वारा लापता का पोस्टर चस्पा किया गया। वहीं कहानी एक ऐसे सांसद की जो बेगूसराय के चार बार सांसद रहे और सिर्फ चुनाव तक ही क्षेत्र में रहते थे और फिर चुनाव जीत जाने के बाद अगले चुनाव के समय ही आते थे।

बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार महेश भारती ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी राय बेबाकी से लिखी है आपलोग भी उनके शब्दों में पढ़ें कि उन्होंने क्या कुछ लिखा है

“बेगूसराय लापता का पोस्टर, मथुरा मिश्र और रामनारायण चौधरी “ मथुरा प्रसाद मिश्र बेगूसराय लोकसभा के प्रथम सांसद थे जो चार बार कांग्रेस पार्टी से इस क्षेत्र से सांसद बने। विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी थे, वे सिर्फ वोट मांगने ही क्षेत्र में आते। उनके मित्र थे रामनारायण चौधरी जो स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही वे बाद में सोशलिस्ट पार्टी में चले गए और चेरियाबरियारपुर विधानसभा क्षेत्र से 1952 में विधायक चुने गए। तब लोकसभा और विधानसभा का चुनाव साथ साथ ही होता था। वर्ष 1957 का आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मथुरा प्रसाद मिश्र को उम्मीदवार फिर से बनाया था जबकि रामनारायण चौधरी सीटिंग विधायक होने के नाते सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। मंझौल गांव में दोनों के वोट मांगने के क्रम में भेंट हो गई। दोनों बातें करने लगे। दोनों के समर्थक भी साथ थे। मथुरा बाबू ने चौधरी जी से कहा ,जब पटना आता हूं और तुम्हारे बारे में पता करता हूं तो तो पता चलता है कि तुम क्षेत्र में हो। रामनारायण सुन लो। उन्होंने एक दोहा सुनाया

“मलयागिरी की भीलनी चंदन देते जलाय
अतिसंपर्क से होत है अरूचि अनादर भाय”

अति संपर्क से अरूचि अनादर होता है जैसे मलय पर्वत पर रहनेवाली भीलनी चंदन के महत्व को नहीं समझ उसे जला देती है। इसी तरह जनता के बीच जितना रहिएगा उतना आपके प्रति अनादर और अरूचि होगी। इसीलिए क्षेत्र में ज़्यादा मत रहो। क्षेत्र में रहोगे तो जनता सौ तरह की समस्या लेकर आएगी। पटना दिल्ली तक तो कम ही लोग पहुंचेंगे। मथुरा मिश्र उसबार भी चुनाव जीत गए।जीते ही नहीं आगे 1962 के लोकसभा चुनाव में भी जीत गए । सब दिन क्षेत्र में रहनेवाले रामनारायण चौधरी चुनाव हार गए।वह भी एक नौसिखिया हरिहर महतो से। मिश्र जी चुनाव जीतकर दिल्ली चले जाते और फिर चुनाव में ही आते। वे बेगूसराय के चार बार सांसद रहे।