Retired Supreme Court Judge : सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के अंदर के बर्ताव को लेकर एक अहम और गंभीर बात कही है। कोर्ट ने कहा कि कुछ जज रिटायरमेंट से ठीक पहले बहुत ज्यादा फैसले सुना रहे हैं, यह न्यायिक परंपरा और बर्ताव के हिसाब से सही नहीं है। यह बात चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की बेंच ने सुनवाई के दौरान कही है। बेंच ने साफ किया कि वह किसी जज पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा रही है। लेकिन ऐसी घटनाओं से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल ही में एक ट्रेंड देखा गया है कि कुछ जज रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले ही बड़ी संख्या में ऑर्डर पास कर रहे हैं। कोर्ट ने इस स्थिति की तुलना क्रिकेट के “आखिरी ओवर” से करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे जज आखिरी ओवर में छक्के मारने की कोशिश कर रहे हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए। अगर फैसलों का समय और रफ्तार अजीब लगती है, तो लोगों के मन में शक होना स्वाभाविक है। इससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है।
बेंच ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जजों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने कार्यकाल के आखिरी समय में भी वैसा ही संतुलन, सावधानी और निष्पक्षता बनाए रखें, जैसा कि उनसे अपनी पूरी सर्विस के दौरान उम्मीद की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट की यह बात न्यायिक सुधार और पारदर्शिता के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इससे संदेश साफ है कि रिटायरमेंट के करीब पहुंच रहे जजों को न्याय व्यवस्था में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए फैसले सुनाते समय ज्यादा जिम्मेदारी और संयम बरतना चाहिए।


