क्या आप जानते हैं भारत में इन 4 किताबों को पढ़ने पर जा सकते है जेल, जानें- क्यों लगा है बैन!
डेस्क : जीवन में किताबें पढ़ना जरूरी है। किताबों से लोगों को जीने का सलीका पता चलता है। इसके साथ ही इतिहास और वर्तमान परिस्थिति में तुलनात्मक शक्ति पुस्तकों से ही उत्पन्न होती है। यही कारण है कि सभी कॉलेजों और स्थानों पर बड़े-बड़े पुस्तकालय बनाये जाते हैं, ताकि वहां जाकर पुस्तकों का अध्ययन किया जा सके।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कई ऐसी किताबें हैं जिन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हां, कुछ किताबें ऐसी हैं जिन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लोग उन किताबों को खरीद या पढ़ नहीं सकते। आइए इन किताबों के बारे में जानते हैं।
नेहरू: अ पॉलिटिकल बॉयोग्राफी- देश के पहले प्रधानमंत्री पर लिखी गई इस किताब को विवादास्पद मानते हुए 1975 में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
द हिंदूज़: एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री- धार्मिक संगठनों के विरोध के कारण पेंगुइन इंडिया ने वेंडी डोनिगर की इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सैटेनिक वर्सेज- सलमान रुश्ती द्वारा लिखी गई यह किताब बीसवीं सदी की सबसे विवादास्पद किताबों में से एक है। 1988 में इस किताब के प्रकाशित होने के बाद अयातुल्ला खुमैनी द्वारा रुश्ती के खिलाफ फतबा जारी किया गया था। हालाँकि, फतबा जारी होने से पहले ही इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, ऐसा करने वाला भारत पहला देश था। कहा जाता है कि इस किताब में इस्लाम का अपमान किया गया है।
नाइन आवर्स टू रामा- अमेरिकी स्टेनली वोलपर्ट ने यह पुस्तक लिखी है। जिसमें उन्होंने गोडसे द्वारा गांधी की हत्या के आखिरी कुछ घंटों का संक्षेप में वर्णन किया है। जिसमें गांधीजी की सुरक्षा को लेकर साजिश बताई गई थी। जिसके चलते इस किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि वोल्पर्ट ने जिन्ना पर एक किताब भी लिखी थी जिसे पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके अलावा एन एरिया ऑफ डार्कनेस, द फेस ऑफ मदर इंडिया, द लोटस एंड द रोबोट और द ट्रू फुरकान किताबें भी भारत में प्रतिबंधित हैं।