जब फूलन देवी ने 21 ठाकुरों को गोलियों से भूना, जानें- राजनीति में एंट्री से हत्या तक की कहानी….

Full Story of Phoolan Devi : चंबल क्षेत्र का सतत समर्थन प्राप्त करने वाली एक अद्वितीय और साहसी महिला “फूलन देवी” (Phoolan Devi) जिनकी कहानी ने भारतीय इतिहास को एक नए पहलुओं से सजीव किया। इस लेख में हम देखेंगे कैसे फूलन देवी ने अपनी जीवन की मुश्किल यात्रा में कई मोड़ों को पार किया और कैसे चंबल क्षेत्र के बीहड़ भू-भाग में होने वाली घटनाओं ने उन्हें एक नेतृत्व की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

चंबल क्षेत्र का परिचय:

चंबल क्षेत्र यूपी (UP), राजस्थान(Rajasthan), और मध्य प्रदेश (Mp) के कुछ जिलों में फैला हुआ है और यहां की भूमि बीहड़ है जिसमें खेती नहीं की जा सकती है। इस क्षेत्र में फूलन देवी ने अपने जीवन का संघर्ष किया और उनके दस्यु बनने के पीछे की कहानी सबको हैरान कर देती है।

फूलन देवी की प्रारंभिक जीवनी:

फूलन देवी(Phoolan Devi) का जन्म 10 अगस्त 1963 को जालौन(Jalaun) जिले के गांव गोरहा का पुरवा में हुआ था. वह एक दलित परिवार से थी। उनके पिता का नाम देवीदीन था और उनके परिवार की संघर्षपूर्ण कहानी ने उन्हें एक नई दिशा में ले जाने का साहस दिखाया।

फूलन देवी(Phoolan Devi) के बारे में लोगों को 80 के दशक में तब पता चला जब उन्होंने एक लाइन में 21 ठाकुरों को खड़ा करके गोली मार दी और जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तब उन्होंने बताया की इन्हीं ठाकुरों ने उनके साथ लगातार तीन हफ्ते तक शारीरिक शोषण किया था।

फूलन देवी(Phoolan Devi) के दादा के मरने के बाद उनके सगे चाचा ने उनकी सारी जमीन ने हड़प ली. यह बात जब फूलन देवी(Phoolan Devi) को पता चली तो उन्होंने वहीं पर धरना शुरू कर दिया और अपने चाचा के साथ मारपीट शुरू कर दी . मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह बताया जाता है कि जिस जमीन के लिए फूलन देवी(Phoolan Devi) डाकू बनी वह जमीन उनके मरने के बाद भी उनकी नहीं हो पाई।

11 साल की उम्र में की थी पहली शादी

फूलन देवी(Phoolan Devi)बचपन में ही समाज के गुनाहों का शिकार बन गई थी उनके साथ पहले गुना जब हुआ जब उनकी 11 साल की उम्र में ही जबरदस्ती शादी करवा दी गई. फूलन देवी की शादी उनसे उम्र में तीन गुना बड़े इंसान के साथ उनके पिता ने करवाई थी. यह बात यहीं तक नहीं रुकी इसके बाद जब वह अपने ससुराल शादी करके गई तो वहां भी उनके साथ बहुत ही गलत हुआ.उनकी सास और ससुर उनको रोज मारा करते थे और उनके पति भी रोज नशे की हालत में उनके साथ जोर जबरदस्ती किया करते थे।

शोषण के बाद अपने घर आ गई

ससुराल में शोषण होने के चलते वह(Phoolan Devi)वहां से भाग कर अपने मायके आ गई लेकिन यहां भी उनको राहत नहीं मिला उनके चचेरे भाई ने उनके ऊपर चोरी का झूठा इल्जाम लगाकर उन्हें जेल भिजवा दिया. इसी दौरान उनकी मुलाकात जेल में बागियों से हुई और बताया जाता है कि ससुराल में शोषण होने के चलते उन्होंने अपना ससुराल छोड़ दिया और बाकियों के साथ जाकर मिल गई।

इस के खुद का गैंग बनाया

ससुराल छोड़ने के बाद भी उनका पीड़ित पान खत्म नहीं हुआ वह जी डाकुओं की गैंग में शामिल हुई थी उसके सरदार ने भी उनके साथ गलत करने की कोशिश की इसके बाद से गैंग के लोगों की उनके प्रति और प्रेम आने लगा और उसके बाद गैंग के एक मेंबर विक्रम मल्लाह ने गैंग के लीडर को मारकर उनकी जगह खुद ले ली और गैंग का सरदार बन गया।

विक्रम मल्लाह के गैंग में उसके दो भाई भी थे जिन्होंने विक्रम मल्लाह को मार कर और बाद में फूलन देवी को उठाकर अपने गांव ले गए थे . इसी गांव में उन दोनों ने एक-एक करके फूलन देवी के साथ रेप किया था लेकिन उसके बाद फूलन देवी ने गैंग के कुछ लोगों से मदद लेकर चुप-चुप आते हुए उसे गांव से निकलकर दूसरी जगह जाकर अपना खुद का गैंग बना लिया था. यह वही गांव था जिसमें फूलन देवी(Phoolan Devi) ने 21 ठाकुरों को गोली मार दिया था।

इन ठाकुरों की हत्या के बाद पूरे क्षेत्र की पुलिस फूलन देवी(Phoolan Devi) और उनके गैंग के पीछे पड़ गई थी. मध्य प्रदेश(Mp), यूपी (UP)और राजस्थान(Rajasthan )तीनों ही स्टेट में पुलिस ने बाकियों के पीछे इस तरह से अपने लोग लगा रखे थे कि उनका रहना , खाना भी मुश्किल कर रखा था. उन लोगों के लिए दो ही ऑप्शन थे या तो पुलिस उनको एनकाउंटर में मार देती थी या फिर उन लोगों को सरेंडर करना पड़ता था. इसी बीच में इंदिरा गांधी(Indira Gandhi)की सरकार भी पुलिस की मदद कर रही थी ताकि वह इन दस्युओं को खत्म कर सके।

फूलन देवी(Phoolan Devi) के गैंग के कई लोगों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था और पुलिस अब यह भी चाहती थी कि फूलन देवी भी बाकी साथियों के साथ पुलिस के सामने घुटने टेक कर सरेंडर कर दें लेकिन फूलन देवी(Phoolan Devi) यह नहीं कर रही थी.

जिसके लिए सरकार ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट SP राजेंद्र चतुर्वेदी को अप्वॉइंट किया ताकि वह फूलन देवी और उनके गैंग का एनकाउंटर कर सके. राजेंद्र चतुर्वेदी अपने काम में कामयाब हुए और उन्होंने फूलन देवी(Phoolan Devi) की कई शर्तें मान ली और इसके बाद फूलन देवी ने उसे समय के न के सीएम के सामने आत्म समर्पण कर दिया।

1996 में बनी संसद

1993 में जेलस एरिया होने के बाद फूलन देवी यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह के संपर्क में आई. मुलायम सिंह ने 1994 में फूलन देवी के ऊपर लगे सारे केस को रद्द करवा दिया और उन्हें अपनी पार्टी का टिकट भी दिया।उसके बाद 1996 में फूलन देवी(Phoolan Devi) मिर्जापुर (Mirzapur) संसद के लिए खड़ी हुई और वहां से जीती भी।

25 जुलाई 2001 को हुई मौत

25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने दिल्ली के अशोका रोड पर फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी है. सांसद बनकर पिछड़ों वर्ग के लोगों और दलितों के लिए अच्छा काम करने वाली दस्यु सुंदरी 2001 में हमेशा के लिए भगवान को प्यारी हो गई।