मुसीबत में फ़रिश्ते से कम नहीं साबित हो रहा यह मकान मालिक,एक साथ 50 लोगों का किया किराया माफ

Kusalpal

वायरल सन्देश : सबसे ज्यादा खराब असर इस समय कोरोना वायरस से गरीब मजदूरों और उन लोगो को पड़ा है …

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प्रधानमंत्री मोदी ने इसलिए बजवाई थी ताली, थाली और शंख जाने इनके पीछे के असली रहस्य?

Pm Modi Tali Thali

वायरल सन्देश : प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बीते रविवार को यह कहा था की आप उन सारे लोगो …

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कोरोना वायरस : यात्री के छींकते ही पायलट विमान से कूदा, यात्रियों में मचा हड़कंप

Coron Flight Caption

वायरल सन्देश : कोरोना वायरस की दहशत लोगो में इस कदर फैली है की, उनको अब इससे बचने की कोई …

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मशहूर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा बने इस महिला के फैन, कहा- ऐसी ही महिलाओं से हमारा देश सुरक्षित है…

Anand Mandhira Fan

वायरल सन्देश : मशहूर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा का ट्विटर सोशल मीडिया पर खूब तेजी से वायरल हो रहा है और …

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IAS Saumya Success Story : बिना कोचिंग के बन गईं IAS अधिकारी, इन परेशानियों का किया सामना

IAS SOMYA SHARMA SUCESS STORY

वायरल सन्देश : कौन कहता है की कोई आसमा को छु नहीं सकता एक पत्थर तो तब्यत से उछालो यह कहावत को सच कर दिखाया है सौम्या शर्मा ने जो अब भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। सौम्य की कानून की पढ़ाई राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से पूरी हुई है। उन्होंने संघ लोक सेवा की परीक्षा 2017 में दी थी जब उनकी उम्र 22 साल थी। उन्होंने इस UPSC की परीक्षा की तैयारी को 2 साल दिए और कामयाब हो गई इस कामयाबी में उन्हें क्या दिक्कत आई और क्या रणनीति अपनाई वह ज़रा जानते है। जब वह कानून की पढ़ाई के आखिरी सेमेस्टर में थी तब भी उन्होंने अपना वैकल्पिक विषय कानून ही रखा था। सौम्य का कहना है की इसके लिए उन्होंने कहीं इंस्टिट्यूट ज्वाइन नहीं करा था बल्कि सिर्फ और सिर्फ टेस्ट सीरीज में एनरोल करा और प्रैक्टिस करी।

पहली परीक्षा उन्होंने काफी आसानी से पास करली थी। उसके बाद जब दूसरी परीक्षा देने का वक्त आया तब उनको काफी ज्यादा बुखार आगया और उनका पारा 103 डिग्री तक चला गया। उनका कहना है की उनको दिन में करीब तीन बार स्लाइन ड्रिप चढ़ाई गई और परीक्षा के बीच में भी ड्रिप चढ़ी। उन्होंने आगे कहा की , ‘मुझे याद है जीएस-2 की परीक्षा के दौरान बीच-बीच में मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा रहा था। मैं तुरंत ऊर्जा के लिए चॉकलेट खाती और उत्तर लिखने में जुट जाती। सौम्य के सुनने की शक्ति भी थोड़ी कम है पर इसका उन्होंने बिलकुल भी फायदा नहीं उठाया और सामान्य श्रेणी में फॉर्म भरा। सौम्य की रैंक पूरे भारत में 9वीं आई।

सौम्या ने बताया की उनकी रणनीति भी काफी काम आई उनका कहना था की कुछ विषयों पर उनकी पकड़ पहले से ही काफी अच्छी है जैसे इतिहास ,भूगोल और सामान्य ज्ञान जिससे मुझे मदद मिली। पढ़ने और समझने का तालमेल भी काफी अच्छा है साथ ही पांच सालों से विवि में पढ़ाई करने के बाद उनकी पकड़ और मजबूत बनती चली गई। विवि के इंटरव्यू पास होने से भी उनको आईएएस के इंटरव्यू में काफी मदद मिली।

यह शादी बना चर्चा का विषय, बिना सिंदूर और मंगलसूत्र के हुई अनोखे अंदाज में शादी

Marriage

वायरल सन्देश : आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो आजकल बेहद ही चर्चा का विषय बना हुआ है, हम सब जानते हैं कि शादियों का सीजन शुरू हो गया है, और लोग अपनी शादियों को यादगार बनाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते रहते हैं, ऐसे ही एक अनोखे तरीका का शादी मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में देखने को मिला, जहां 16 फरवरी को यह शादी हुई, यह शादी बिना सिंदूर और मंगलसूत्र के बिना ही संपन्न हो गई, दूल्हा और दुल्हन ने हिंदू रीति-रिवाजों को निभाने की जगह संविधान की शपथ लेकर शादी का संकल्प लिया, यहां तक की शादी में आए जितने भी मेहमान थे सभी ने संविधान की शपथ लेते हुए उसका पालन करने का संकल्प लिया, और इस तरह से उनकी शादी संपन्न हुई।

सीहोर के भारती नगर निवासी विष्णु प्रसाद के बेटे हेमंत और जयराम भास्कर की बेटी की शादी को लोग देखते ही रह गए, इस शादी में दूल्हा हाथ में किताब लेकर चल रहा था, फिर वर-वधू स्टेज पर बौद्ध और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चित्र लिए खड़े हुए थे, उन्हीं को साक्षी मानकर इन दोनों ने कार्यक्रम की शुरुआत की, उसके बाद वर-वधू को भारत के संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई गई, और फिर जीवन भर एक दूसरे का साथ देने का भी संकल्प लेकर इस विवाह को संपन्न किया गया।

आपको बता दें कि शादी के निमंत्रण पत्र पर ही बुद्ध और डॉ भीमराव अंबेडकर के चित्र अंकित किए गए थे, सबबमंगलम, प्रज्ञा, शीलह करुणा कुछ इस प्रकार के गौतम बुद्ध के संदेश विवाह निमंत्रण पत्र पर लिखे हुए थे, इस विवाह निमंत्रण पत्र पर बुद्ध और डॉक्टर अंबेडकर के चित्र भी छपवाए गए थे, इसके अतिरिक्त भारत का संविधान हमारा स्वाभिमान जैसे स्लोगन भी शादी कार्ड पर अंकित कराया गया था, इस पहल ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया, अब तक लोग अपनी शादी कार्ड पल पर्यावरण से जुड़े मुद्दों, राजनीतिक अभियान का समर्थन ही देखने को मिला था, लेकिन इस तरह की अनोखी शादी ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया और यह एक चर्चा का विषय बन गया।

एक किसान के बेटी ने साबित कर दिया: कठिन परिश्रम से सब कुछ हासिल किया जा सकता है….

एक किसान के बेटी ने साबित कर दिया: कठिन परिश्रम से सब कुछ हासिल किया जा सकता है...

वायरल सन्देश : एक किसान की बेटी ने वह कर दिया जो बड़े बड़े घर की बेटी करने के लिए सपने देखती हैं हम बात कर रहे हैं 14 वर्ष की इल्मा अफरोज की जिसने अपने मेहनत से साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती जब हम 14 वर्ष की उम्र में होते हैं तो हम बड़े-बड़े सपने देखते हैं और क्या हो अगर उसी बीच कोई बड़ा हादसा हो जाए तो सपनों पर पानी फिर जाता है ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज में 217वीं रैंक हासिल करने वाली इल्मा अफ़रोज़ की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ पर मजबूत इच्छाशक्ति के आगे परिस्थितियों को घुटने टेकने पड़े और वह देश की करोड़ों बेटियों के लिए मिसाल बन गई ।

इल्मा जब 14 वर्ष की थी तो उसके सर पर से उसके पिता का साया हट गया परिवार की आय का एकमात्र सोर्स खेती था जो उसके पिता करते थे अब इस बड़े हादसे के कारण वह पूरी तरह से टूट गई अब इल्मा ने मां के साथ खेतों में काम करना शुरू कर दिया परिस्थितियां चाहे कितने भी कठिन हो पर उसके ढूंढ इच्छा शक्ति के आगे कुछ भी ना थी ।

अपने सपनों को पूरा करने के लिए वह दिन रात मेहनत करती थी और साथ ही ट्यूशन पढ़ा कर पैसे एकत्र करती थी डॉक्टर अब्दुल कलाम को आदर्श मानने वाले इल्मा कहती हैं ‘मेरे सपनों ने मुझे कभी सोने नहीं दिया’ इल्मा अफरोज ने 12वीं की पढ़ाई मुरादाबाद से पूरी की उसके बाद उसका दाखिला दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हो गया वह इतनी मेघावी छात्रा थी कि उसे विदेशों से स्कॉलरशिप भी मिलने लगा साथ ही प्रतिष्ठित पेरिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में भी पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं क्लिंटन फाउंडेशन में भी काम करने का मौका मिला जो विश्व की बड़ी संस्थाओं में से एक है ।

पर वह सब छोड़ कर अपने देश वापस आ गई उसके जीवन में कहीं ना कहीं देश की सेवा करने का एक जुनून सवार था तो उसने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया भले ही उसके पास किताबों की कमी थी और कोचिंग के लिए उसके पास रुपयों की कमी थी पर उसने तैयारी शुरू कर दी।

एक कहावत तो आपने सुनी होगी की मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती इल्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ उसके मेहनत रंग लाई और अपने पहले ही प्रयास में इल्मा अफरोज ने 217वीं रैंक हासिल कर सफलता का परचम लहरा दिया एक मध्यमवर्ग परिवार की लड़की ने अपने सपनों को पूरा कर ही लिया बतौर आईपीएस वह अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं उसका कहना है महिलाओं को न्याय दिलाना हमेशा मेरी प्राथमिकता में शामिल रहेगा देश की सबसे कठिन परीक्षा में जब एक किसान की बेटी फतह हासिल करती है तो यह उसके परिवार के लिए ही नहीं देश के लिए गर्व की बात है इलमा जैसी देश की बेटियों पर आज पूरा देश को गर्व है।