Begusarai News : बेगूसराय से एक ऐसा मामला आया है जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। दरअसल, अपने विरोधियों को फंसाने के लिए दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला एवं उसकी पुत्री पर न्यायालय ने लिया संज्ञान लिया है। एसडीजेएम मंझौल मयंक कुमार पांडेय की अदालत ने एक झूठे बलात्कार मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सूचिका और पीड़िता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 182 एवं 211 के तहत संज्ञान लिया है।
मामला क्या है?
दरअसल, यह पूरा मामला खोदाबंदपुर थाना क्षेत्र के मेघौल गांव निवासी राजकुमारी देवी द्वारा दर्ज कराए गए बलात्कार के एक मुकदमे से जुड़ा है। उन्होंने 27 जून 2024 को अपनी बेटी आरती कुमारी के साथ बलात्कार का आरोप लगाते हुए मंझौल निवासी शंभू सहनी, संजय सहनी, अजय सहनी, रणजीत सिंह सहनी समेत कुल आठ लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी संख्या खोदाबंदपुर थाना कांड संख्या 176/2024 के तहत दर्ज की गई थी।
पुलिस जांच में मामला निकला झूठा
पुलिस द्वारा मामले की जांच के क्रम में पीड़िता का धारा 164 के तहत बयान तो दर्ज कराया गया, लेकिन उसने मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, जांच के दौरान कोई भी ऐसा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष साक्ष्य सामने नहीं आया जिससे बलात्कार के आरोप की पुष्टि हो सके।
अनुसंधान पूरा होने के बाद पुलिस ने न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें साफ कहा गया कि दर्ज मुकदमा असत्य और मनगढ़ंत है। हालांकि, पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 182 (झूठी सूचना देने) और 211 (झूठा आरोप लगाने) के तहत कोई अलग से प्रतिवेदन दाखिल नहीं किया गया था।
न्यायालय ने लिया स्वतः संज्ञान
एसडीजेएम मंझौल ने पुलिस की जांच रिपोर्ट को आधार मानते हुए सूचिका राजकुमारी देवी एवं उसकी पुत्री आरती कुमारी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 182/211 के तहत संज्ञान लिया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि जब मामला झूठा पाया गया, तो अनुसंधानकर्ता पुलिस अधिकारी ने धारा 182/211 के तहत अलग से प्रतिवेदन क्यों नहीं दाखिल किया। इस बाबत न्यायालय ने संबंधित अनुसंधानकर्ता पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट के साथ स्पष्टीकरण मांगते हुए अगली कार्रवाई के लिए तिथि निर्धारित की है।