Train चलाने के लिए कितने वोल्‍टेज की होती है जरूरत? जानें- AC या DC किस करंट पर दौड़ती है रेलगाड़ी…. 

डेस्क : ट्रेन देश में परिवहन के सबसे सुविधाजनक साधनों में से एक है। रोजाना 2.5 करोड़ से ज्यादा लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं। ये ट्रेनें अब इलेक्ट्रिक इंजन से चलाई जा रही हैं। देश में रेलवे का तेजी से विद्युतीकरण किया जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन भारी ट्रेनों को चलाने के लिए किस करंट, AC या DC की आवश्यकता होती है? एक रेलवे इंजन को कितने वोल्ट बिजली की आवश्यकता होती है? आइए आज जानते हैं इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब।

ट्रेन का इंजन ही कई टन भारी है और पूरी ट्रेन का वजन आपकी कल्पना से कहीं ज्यादा होगा। जाहिर है इतने भारी वजन को खींचने के लिए हाई पावर वोल्टेज की जरूरत होगी। विद्युतीकरण की शुरुआत में रेलवे ने डायरेक्ट करंट यानी डीसी इंजन का इस्तेमाल किया। इस इंजन में लगे ट्रांसफार्मर को 25KV बिजली सप्लाई की जाती थी। फिर रेक्टिफायर की मदद से AC करंट को DC में बदला गया।

हालाँकि, अब AC इंडक्शन मोटर का उपयोग सीधे नए प्रकार के इंजनों में किया जाता है।रेलवे की वेबसाइट के मुताबिक इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए 25 हजार वोल्टेज (25KV) की जरूरत होती है। ट्रेन में लगे ट्रांसफार्मर से बिजली ट्रेन के ऊपर लगे उपकरण पेंटोग्राफ के जरिए इंजन तक पहुंचती है। यह ट्रेनों के ऊपर चलने वाले बिजली के तारों से जुड़ा होता है, जिन्हें ओवर हेड इक्विपमेंट (OHE) कहा जाता है।

बिजली की आपूर्ति सीधे ग्रिड से उपलब्ध

रेलवे को बिजली सीधे पावर ग्रिड से मिलती है, यही वजह है कि कभी बिजली कटौती नहीं होती है। ग्रिड की आपूर्ति पावर प्लांट से की जाती है, जहां से इसे सबस्टेशनों को भेजा जाता है। सब स्टेशन से 132 केवी की सीधी सप्लाई रेलवे को जाती है और यहां से 25 केवी ओएचई को दी जाती है। यही कारण है कि आप अक्सर रेलवे स्टेशनों के पास विद्युत उप-स्टेशन देखते हैं।

बिजली चले जाने पर भी ट्रेन नहीं रुकती

दरअसल, रेलवे को बिजली की सीधी आपूर्ति होती है, इसलिए बिजली गुल होने का डर नहीं रहता। इसके बावजूद अगर 2-4 मिनट के लिए भी बिजली चली जाए तो चलती ट्रेन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह अपनी स्पीड से चलती रहेगी। लेकिन, अगर ट्रेन खड़ी है तो उसे बिना बिजली और पूरी ताकत के नहीं चलाया जा सकता।