Friday, July 26, 2024
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UPSC की पढ़ाई के लिए इतना फेमस क्यों है दिल्ली का Mukherjee Nagar, जानें – वजह….

दिल्ली का मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) अपनी एक अलग पहचान के लिए जाना जाता है. जहां पिछले दिनों एक हादसे की वजह से छात्र बिल्डिंग से रस्सी से नीचे उतरते देखे गए. मुखर्जी नगर छात्रों का मक्का कहा जाता है जहां के इलाकों के आसपास हजारों की संख्या में स्टूडेंट दूर-दूर से आकर पढ़ाई करने के लिए रहते हैं.

खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुखर्जी नगर को अपनी एक पहचान मिल गई है, जबकि कभी यह इलाका अपनी एक पहचान के लिए जाना जाता था. लेकिन आज के समय में यहां की कोशिकाओं में स्टूडेंट्स का जमावड़ा लगा होता है. लेकिन कैसे छात्र मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) में इकट्ठा होने लगे इसके पीछे की असली वजह क्या है आइए जानते हैं?

करियर आउटलुक इंस्टिट्यूट के सीनियर फैकल्टी ने बताई कहानी

दरअसल मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) के कैरियर आउटलुक इंस्टीट्यूट के सीनियर सेकेंडरी डॉ संजय कुमार ने बताया कि उन्होंने 1995 से लेकर अब तक के दौर को अपनी आंखों से देखा है. उन्होंने बताया कि 1996 के वक्त में मुखर्जी नगर में छोटे-छोटे कोचिंग संस्थान में छात्र पढ़ाई करते थे.

उस दौर में मेरेडियन क्लासेज कोचिंग संस्थान, मणिकांत सर स्टडी, द स्टडी ऑफ वाईडी मिश्रा आईएस जैसे लीजेंड संस्थान मौजूद थे. इसके बाद 2000 का दौर शुरू हुआ जब चाणक्य आईएएस ने अपना सेंटर मुखर्जी नगर में खोला इसके बाद इलाके में हलचल तेज हो गई.

मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) ही क्यों बना हॉटस्पॉट ?

डॉक्टर संजय ने कहा कि पहले के समय में UPSC का पैटर्न एकेडमिक सपोर्ट हुआ करता था. अगर इसे सरल भाषा में समझे तो पहले तो ऑप्शनल पेपर छात्रों को तो नहीं होते थे इसमें एक अकैडमी परीक्षा पास करना करके छात्र पहले कॉल करके आते थे वह UPSC आसानी से निकाल. लेकिन जैसे ही पैटर्न बदला इसके बाद डॉक्टर इंजीनियर सभी डिपार्टमेंट के छात्र निकलने लगे.

ऐसा इसलिए हुआ कि पहले के समय में ऑप्शनल पर पकड़ अच्छी होती थी वह आसानी से यूपीएससी क्लियर कर लेता था. जिसके लिए छात्र पहले शक्तिनगर और विजय नगर के आसपास के इलाकों में रहते थे लेकिन वहां पर जगह की कमी होने की वजह से धीरे-धीरे छात्र मुखर्जी नगर शिफ्ट हो गए.

खुला खुला रहता था इलाका

उन्होंने बताया कि मैंने वह दौर भी देखा है जब मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) का इलाका पूरी तरह खुला खुला लगता था. उसे समय यहां पर अच्छे-अच्छे रूम होते थे और प्राइवेट फ्लैट भी आसानी से मिल जाते थे, इसके अलावा कमर्शियल कंपलेक्स भी मौजूद थे तो कोचिंग के लिए कोई रोकने वाला भी नहीं होता था, इसके अलावा उस वक्त हाय रूल फीट तक प्राइवेट बिल्डिंग में कोचिंग नहीं चल पा रही रूम लोकेशन पर ज्यादा सख्त होने की वजह से वहां कोचिंग खोलना इतना आसान नहीं होता था दूसरी बात है, दिल्ली यूनिवर्सिटी यहां से काफी नजदीक है जिसकी वजह से कोचिंग संस्थाओं की बाढ़ और छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती गई.

कभी प्रवासियों का होता था इलाका

दरअसल इन सबसे पहले यहां पर बड़ी संख्या में पाकिस्तान माइग्रेट जाकर रहते थे. जिनको 175 यार्ड का प्लाट मिला हुआ था फिर साल 1995 के आसपास काफी सस्ते में वह बेचकर वहां से चले गए. जिसके बाद उस इलाके पर बिल्डर्स की नजर कर गई और वहां एक बिल्डिंग खड़ी कर उसे 4 से 5 करोड़ में बेचने लगे हालांकि उस समय वहां का इलाका पूरी तरह खुला हुआ करता था.

अचानक बढ़ने लगी छात्रों की संख्या

डॉ संजय ने कहा कि एक समय आया 2006 का जब अचानक आसपास के इलाकों में एसएससी कोचिंग संस्थान खुलने लगे जिसकी वजह से छात्रों की संख्या भी बढ़ने लगी. हालांकि आज के समय में मुखर्जी नगर यूपीएससी के लिए काम तो एसएससी और वनडे एग्जाम जैसे कि बैंकिंग परीक्षा रेलवे तैयारी के लिए जाना जाता है और यह छात्रों को तैयारी करने वाला एक हब बन चुका है.

बड़ी संख्या में लगातार छात्रों की पहुंच को देखते हुए यहां पर कंपटीशन बढ़ता गया और कोचिंग संस्थान भी समय-समय पर अपने आप को अपडेट करते हैं, जहां आज के समय में 32 टन की एसी लगे हैं वहां पहले के समय में 2 टन की एसी लगे हुए थे.

Vivek Yadav

विवेक यादव डिजिटल मीडिया में पिछले 2 सालों से काम कर रहे हैं. thebegusarai में विवेक बतौर कंटेंट राइटर कार्यरत हैं. इससे पहले 'एमपी तेजखबर' के साथ इन्होंने अपनी पारी खेली है. विवेक ऑटो, टेक, बिजनेस, नॉलेज जैसे सेक्शन में लिखने में इनकी विशेष रुचि है. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई की है। काम के अलावा विवेक को किताबें पढ़ना, लिखना और नई जानकारी जुटना काफी अच्छा लगता है।