Rakshabandhan In Puri : आज देश भर में रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का वचन लेती है. आपको बता दे कि जगन्नाथ मंदिर में भी रक्षाबंधन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जहां बहन सुभद्रा अपने भाई जगन्नाथ और बलभद्र की कलाइयों पर राखी बांधती है, लेकिन यह बड़ा ही खास होता है और इसके लिए तैयारी को भी बहुत स्पेशल तरीके से किया जाता है.
जगन्नाथ मंदिर में रक्षाबंधन का त्योहार एक खास परिवार द्वारा बनाई जाने वाली राखियों से मनाया जाता है, जिसका अपना एक अलग महत्व है. इस मौके पर बाहर के लोगों की एंट्री पूरी तरह से बंद कर दी जाती है.
इस तरह जगन्नाथ मंदिर में होती है Rakshabandhan
जगन्नाथ मंदिर में बहन सुभद्रा अपने दोनों भाइयों को जो राखी बांधती है, उसे लेकर पूरी पवित्रता का ध्यान रखा जाता है और इसके लिए एक ही परिवार राखी बनाता है. पिछले 45 सालों से यही परिवार जगन्नाथ मंदिर में रक्षाबंधन के लिए राखी बनाता आ रहा है. इसकी पवित्रता इस बात से समझी जा सकती है की चितलगी अमावस्या के दिन से राखी बननी शुरू होती है और जब तक राखी बनती है, उस समय से लेकर उसे मंदिर में सौपने तक इसे बनाने वाले के घर में सिर्फ शाकाहारी भोजन बनता है.
बाहर का कोई खाना नहीं मंगाया जाता. यहां तक की पूरा परिवार एक व्रत जैसे माहौल में रहता है और दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन ग्रहण करता है. परिवार द्वारा स्वच्छता का भी पूरी तरह ध्यान रखा जाता है और उतरे हुए कपड़े को दोबारा ग्रहण नहीं किया जाता.
बाहरी सख्स पर होती है पाबंदी
जगन्नाथ मंदिर में रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के लिए जो राखी तैयार की जाती है उसकी लंबाई 12 इंच और चौड़ाई 15 इंच होती है. इस राखी को बनाने के लिए किसी आधुनिक रंग-बिरंगे धागे और माले का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसे केवल बांसुगी पाट से तैयार किया जाता है, जिस दौरान बाहरी किसी भी शख्स के अंदर आने पर मनाही होती है.
राखी बांधने से पहले भोग मंडप से पूजा होने के बाद महा स्नान किया जाता है और इसके बाद भगवान के शरीर पर चंदन और दोनों भाइयों को पाट और आभूषण पहनाए जाते हैं. दोपहर के बाद सिंघारी महाजन को राखी सौंप दिया जाता है जो देवी सुभद्रा की ओर से भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के हाथों में राखी बांधते हैं.