Thursday, July 25, 2024
Knowledge

जूते की डोरी के आगे ये प्लास्टिक क्यों लगा होता है? जानें- क्या है इसका नाम और काम…

डेस्क : ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी का पर्सनेलिटी जानना हो तो उसके जूतों पर नजर डालनी चाहिए। जूते लोगों की पर्सनैलिटी में चार चांद लगा देते हैं। लेकिन इससे जुड़ी कई बातें हैं जो लोग नहीं जानते हैं। दुनिया में जूतों का इतिहास लगभग 7000-8000 ईसा पूर्व का है।

अगर आज के समय की बात करें तो जूते इंसान की पर्सनैलिटी को और भी आकर्षक बनाते हैं। दुनिया में महंगे ब्रांडेड जूते मिलते हैं। लोग हर मौके के हिसाब से अलग-अलग जूते पहनते हैं। लेकिन क्या आपको पता है। जिसमें लेस के सामने की तरफ प्लास्टिक लगा हुआ है। आइए जानते हैं इसे क्या कहते हैं?

जूतों के सामने लगे उस प्लास्टिक को एग्लेट कहते हैं। जिसका मतलब होता है पिन या कोई नुकीली चीज। जूतों का इतिहास बहुत पुराना है। इसी तरह जूते के फीते का भी बहुत पुराना इतिहास है। ऐसा कहा जाता है कि जब जूतों का आविष्कार हुआ था। उस समय जूते बिना लेस के पहने जाते थे।

जूतों में लेस का प्रयोग 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ। इसके बाद पूरी दुनिया में लेस वाले जूतों का चलन शुरू हो गया।आपको बता दें कि आज भी इससे जुड़े दस्तावेज लंदन के म्यूजियम में रखे हुए हैं। आपको बता दें कि 18वीं सदी के दौरान भारत में हर किसी को जूते पहनने की आजादी नहीं थी। केवल राजा और राजदरबारियों को ही इसकी अनुमति थी। लेकिन समय के साथ आम जनता ने भी जूते पहनना शुरू कर दिया।

Nitesh Kumar Jha

नितेश कुमार झा पिछले 2.5 साल से thebegusarai.in से बतौर Editor के रूप में जुड़े हैं। इन्हें भारतीय राजनीति समेत एंटरटेनमेंट और बिजनेस से जुड़ी खबरों को लिखने में काफी दिलचस्पी है। इससे पहले वह असम से प्रकाशित अखबार दैनिक पूर्वोदय समेत कई मीडिया संस्थानों में काम किया। उनके लेख प्रभात खबर, दैनिक पूर्वोदय, पूर्वांचल प्रहरी और जनसत्ता जैसे अखबारों में भी प्रकाशित हो चुके हैं। अभी नीतेश दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से MA मास मीडिया कर रहे हैं।