Transgender Facts : मरने के बाद किन्नर के शव को जूते-चप्पल से क्यों पीटा जाता है? जानें- वजह..

Transgender Facts : देश में किन्नरों को अलग नजरिए से देखा जाता है। किन्नर आज भी खुद को अपने बुनियादी अधिकारों से भी वंचित पाते हैं। हालाँकि सरकार इन पर भी ध्यान देने की बात करती नज़र आ रही है। जब लोग ट्रेन में या ट्रैफिक सिग्नल पर किसी किन्नर को नेक मांगते हुए देखते हैं तो मन में कई तरह की बातें सोचने लगते हैं।

किन्नरों का जीवन अपने आप में एक रहस्य है। ऐसे में उनका अपना समाज है। वे अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार रहते हैं। मरने के बाद किन्नर शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं, ऐसा क्यों? ये बात हर कोई जानना चाहता है। आज हम विस्तार से जानेंगे।

शवयात्रा में जूते-चप्पल से पीटना

किसी भी किन्नर की मौत के बाद किन्नर समुदाय के लोग शव को चप्पलों से पीटते हैं। क्योंकि किन्नर समुदाय के लोग अपने जीवन को अभिशाप मानते हैं। यही कारण है कि शवयात्रा से पहले मृतक को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है और गालियां दी जाती हैं।

इसका कारण यह भी है कि यदि मृत किन्नर ने कोई अपराध किया है तो जाते समय वह उसका प्रायश्चित कर ले और अगले जन्म में वह एक सामान्य मनुष्य के रूप में जन्म ले। जानकारी के मुताबिक, किन्नर समुदाय में एक भी किन्नर की मौत होने पर पूरा वयस्क किन्नर समुदाय पूरे एक सप्ताह तक व्रत रखता है और मृतक के लिए प्रार्थना करता है। किन्नर अपनी दुआ में मृतक के लिए अगला जन्म इंसान के रूप में मांगते हैं।

दुआओं का असर

ऐसा माना जाता है कि कई किन्नरों के पास आध्यात्मिक शक्ति होती है, जिसके कारण उन्हें मौत का आभास हो जाता है। इसलिए मरने से पहले किन्नर कहीं भी आना-जाना बंद कर देते हैं और खाना भी बंद कर देते हैं।

इस दौरान वे सिर्फ पानी पीते हैं और भगवान से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा आस-पास और दूर-दराज से किन्नर मरते हुए किन्नर के लिए प्रार्थना करने आते हैं। क्योंकि किन्नरों के बीच ऐसी मान्यता है कि मरते हुए किन्नर की दुआएं बहुत असरदार होती हैं।

रात में होता है अंतिम संस्कार

ऐसी मान्यता है कि यदि आम लोग किसी मृत किन्नर का शव देख लें तो मृतक का पुनर्जन्म किन्नर के रूप में होता है। इसलिए किन्नर की शव यात्रा रात के समय निकाली जाती है और इसमें कोई भी बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता है। इसके अलावा किन्नरों की शवयात्रा बिल्कुल अलग होती है। किन्नर अंतिम संस्कार के लिए शव को खड़ा करके ले जाते हैं। वहीं किन्नरों की बीमारी या मौत की खबर बाहर किसी को नहीं दी जाती है।