आखिर सिर कटने के बाद कहां चला गया था श्री गणेश का पुराना मस्तक- आज भी भगवान शिव करते है रक्षा

भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश की रोचक जन्म कथा तो हम सभी जानते हैं। उनका सिर भगवान शिव द्वारा क्रोध में अलग कर दिया गया था, इसके बाद मां पार्वती के विलाप को देखते हुए भगवान शिव ने भगवान गणेश के धड़ पर हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवित किया था। लेकिन, भगवान गणेश के असली सिर का क्या हुआ? हाथी के बच्चे का सिर लगाने के बाद गणेश का असली सिर कहां हैं?

इस तरह के कई सवाल आपके मन में जरूर आते होंगे। आज हम आपको इस सवाल का जवाव देने जा रहे हैं। भारत समेत दुनियाभर के मंदिरों में भगवान गणेश की हाथी वाले शीश के साथ ही पूजा की जाती हैं। लेकिन एक मंदिर ऐसा हैं जहां उनके बिना धड़ वाले शीश की पूजा की जाती हैं। यह मंदिर एक गुफा में पाताल की गहराई में स्थित है जहां जाना हर किसी के बस की बात नहीं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर उनके धड़ से अलग किया था तब वह सिर धरती के नीचे पाताल में स्थित एक गुफा में आकर गिरा था। इसके बाद आदिशंकराचार्य ने पाताल लोक में इस गुफा की खोज की थी। उन्होंने यहां भगवान गणेश के शीश को स्थापित किया और उनके सिर की पूजा का विधान शुरू किया।


पाताल भुवनेश्वर के नाम से जानी जाती है गुफा : आज के समय में यह गुफा पाताल भुवनेश्वर के नाम से जानी जाती है। इस गुफा में स्थापित बिना धड़ वाले गणेश जी के शीश को आदि गणेश के नाम से संबोधित किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आदि गणेश के दर्शन कर उनके शीश की पूजा करता है उसके अंतर्मन से अहंकार का नाश हो जाता है। कहां है गुफा? पाताल भुवनेश्वर नाम से प्रसिद्ध यह स्थान उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। इस गुफा को लेकर एक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव स्वयं गणेश जी के सिर की रक्षा करते हैं और उसका ध्यान रखते हैं।