Desk : भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की। वो ऐसे पहले मुगल बादशाह थे, जिन्होंने अपनी आत्मकथा खुद लिखी। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपनी नाकामयाबी को लिखने में कोई गुरेज नहीं किया। मुगल अपनी आत्मकथा को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर लिखते थे। लेकिन, बाबर ने ऐसा बिलकुल नहीं किया। ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 को अन्दिजान (उज़्बेकिस्तान) में हुआ था। इस मुगल बादशाह की सोच कभी हार न मानने वाली थी और यही वजह रही है कि उसमें हमेशा से समरकंद (उज़्बेकिस्तान) को हासिल का जुनून रहा था।
समरकंद पर तीन बार कब्ज़ा करने के बाद भी ये शहर बाबर के हाथ से निकल गया। इतिहासकारों का मानना है किअगर समरकंद पर बाबर की बादशाहत कायम रहती तो वो भारत में राज करने के बारे में कभी नहीं सोचता। इतिहाकारों के मुताबिक, समरकंद के हाथों से निकलने के बाद बाबर को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। क्यों भारत आया था बाबर? आर्थिक तंगी से जूझ रहे बाबर को पैसों की जरूरत थी। इसके लिए उसने कई बार सिंधु नदी को पार कर पश्चिमी हिस्से पर आक्रमण किया और धन लूटकर काबुल ले गया। लेकिन पैसों की जरूरत ने उसे भारत खींच लाई।
कहा जाता है कि उस समय में भारत में इब्राहिम लोदी का आतंक था। मेवाण के राणा सांगा उससे निपटना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बाबर को भारत आने के लिए आमंत्रित किया और बाद उन्हें ही शिकस्त दे दी। कब भारत आया बाबर? बाबर 1526 में भारत आया था, जब पानीपथ का युद्ध हुआ। इस लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोदी को शिकस्त दी। और भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखते हुए अपना वर्चस्व कायम किया। पानीपथ की जांच जीतने के एक वर्ष बाद बाबर ने राणा सांगा को भी मात दी।
क्या है बाबरी मस्जिद का सच? भारत में इन दिनों बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण बाबर ने करवाया है। जबकि हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद से पहले यहां भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया।
इतिहासकार हरबंस मुखिया कहते हैं, ऐसा माना जाता है कि अयोध्या की विवादास्पद बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई थी, लेकिन ये सच नहीं है। वह कहते हैं कि बाबर के जिंदा रहने और उसके न रहने के कई सौ साल बाद तक के इतिहास में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है। लेकिन हां, बाबर ने 1526 में पानीपत में एक मस्जिद जरूर बनाई थी जो आज भी वहां पर खड़ी हुई है। बादशाह ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उन्हें पानीपत की जंग में जीत हासिल हुई थी।