पता चल गया Lotus Temple में सबसे ज्यादा इस धर्म को मानने वाले ही जाते हैं

डेस्क : Lotus Temple को दिसंबर 1986 में स्थापित किया गया था। यह अपने कमल जैसे आकार के लिए जाना जाता है। इस वक्त यह दिल्ली शहर का एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है। दिल्ली का यह लोटस टेम्पल सभी के लिए खुला है, यहाँ पर किसी भी धर्म अथवा कोई भी योग्यता वाले लोग आते हैं इसकी फूल जैसी दीवारें संगमरमर की “पंखुड़ियों” से बनी है। इसकी ऊंचाई 34 मीटर है। इसमें करीब 1,300 लोग आ सकते हैं।

यह मंदिर न हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, न जैन धर्म, और ना ही यहूदियों, ईसाइयों का मंदिर है। बल्कि यह एक बहाई धर्म का मंदिर है। इसको तैयार करने में 10 मिलियन का खर्चा आया था। आपको फिर से बता दें की, नई दिल्ली में स्थित Lotus Temple एक बहाई समुदाय को मानने वाला गृह है। दुनिया में कुल 7 ही बहाई मंदिर हैं और Lotus Temple उनमें से एक है। स्वतंत्र धर्मों की उत्पत्ति फारस (ईरान) में हुई।

बहाई धर्म दुनिया का सबसे युवा धर्म है। वर्ष 1844. भौगोलिक दृष्टि से यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्थान है, हैरान होंगे की लगभग, 6 मिलियन विश्वासियों के साथ इस धर्म का व्यापक प्रसार हुआ था और दुनिया भर में लगभग हर सांस्कृतिक, नस्ल के लोगो ने इसमें प्रवेश लिया था।