Property Rights : देश में जब संपत्ति का बंटवारा होता है तो इसे हिंदू धर्म में उत्तराधिकार के नियम के अनुसार बांटा जाता है। कई बार संपत्ति वसीयत के हिसाब से भी बांटी जाती है। संपत्ति का मालिक मरने से पहले वसीयत लिख देता है, इसके हिसाब से ही संपत्ति का बंटवारा होता है। लेकिन कई बार वसीयत नहीं लिखी जाती है तो उसे कानून द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार बांटा जाता है।
अधिकतर लोगों को यह पता है कि पिता की संपत्ति को बच्चों में बांट दिया जाता है, लेकिन माँ की संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानून में क्या नियम बनाए गए हैं इसके बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं है।इसलिए आज हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि मां की संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानून के तहत क्या नियम बनाए गए हैं?
पिता की ही तरह मां की कमाई गई या अर्जित की गई संपत्ति का भी वारिस होता है। लेकिन संपत्ति किसके नाम करनी है, ये अधिकार मां का ही होता है। जब तक माँ जिंदा है तब तक उसका बेटा या बेटी संपति पर अधिकार नहीं जता सकते है। लेकिन माँ चाहे तो अपनी वसीयत के जरिये अपनी संपति किसी के भी नाम कर सकती है।
अगर माँ की मौत वसीयत लिखे बिना ही हो जाती है तो उसकी संपत्ति को बेटी या बेटे में बांटा जा सकता है। प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी में बेटे या बेटी ही रहते हैं। इसके साथ ही अगर बेटी की शादी भी हो जाती है तो वह माँ की संपत्ति में अपना हक मांग सकती है। बेटी का भी माँ या पिता की संपति पर उतना ही अधिकार होता है जितना एक बेटे का होता है।
कोई अविवाहित महिला जिसके पास संपत्ति है, बिना वसीयत लिखे मर जाती है तो ऐसे में पिता को संपत्ति का अधिकार होता है। पिता के नहीं होने पर भाई-बहन दावेदार हो सकते हैं।