डेस्क : एक तरफ जहां बिहार सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस देने के लिए जाना जाता है। वहीं, यहां की शिक्षा व्यवस्था की खराब हालत की भी खूब चर्चा होती है। लेकिन इस बार इंटरमीडिएट परीक्षा केंद्र से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आ रही है। यह कहानी एक माँ की है जो अपने बेटे और बेटी के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रही है। रोहतास जिले में फिलहाल स्नातक पार्ट वन और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं चल रही हैं।
एक मां भी अपने बेटे और बेटी के साथ इन परीक्षाओं में भाग लेकर एक बेजोड़ सामाजिक मिसाल कायम कर रही है। मां, बेटी और बेटे की यह आकर्षक जोड़ी रोहतास जिले के संझौली प्रखंड के सुसाड़ी गांव की है सुसाढ़ी के पूर्व सरपंच उत्तम कुमार की 18 वर्षीय पुत्री तन्वी पटेल कॉलेज बिक्रमगंज परीक्षा केंद्र पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नातक खंड एक की परीक्षा दे रही है।
तन्वी की मां प्रतिमा कुमारी भी अपने 17 वर्षीय बेटे ऋषभ के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रही हैं। हालांकि मां और बेटे का परीक्षा केंद्र और विषय अलग-अलग हैं। मां इंटर आर्ट्स की परीक्षा हायर सेकेंडरी स्कूल, डिलियां (डेहरी ऑन सोन) में दे रही है, जबकि बेटे का परीक्षा केंद्र संत अन्ना विद्यालय, सासाराम है।
गांव में लोगों के बीच उसकी काफी चर्चा है। प्रतिमा पूछती हैं, क्या शिक्षित होना गुनाह है? बेटी-बेटे के साथ परीक्षा देने में क्या दिक्कत है? क्या एक माँ अपने बच्चों के साथ नहीं पढ़ सकती? प्रतिमा की शादी 2003 में सुसाड़ी के उत्तम कुमार से हुई थी। पति भी पूर्व सरपंच रह चुके हैं और सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं।
22 साल बाद शुरू की पढ़ाई
पत्नी ने शादी से पहले 2000 में झारखंड के लालमटिया हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया था। पारिवारिक जीवन की ज़िम्मेदारियों के कारण मेरी पढ़ाई छूट गई। आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। तीन बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर आ गई।
प्रतिमा को अपनी आगे की पढ़ाई पूरी न कर पाने का दुख हमेशा रहता था। बड़ी बेटी ने फिर मां के सपनों को पूरा करने की हिम्मत दी। अपने बेटे और बेटी की जिद पर प्रतिमा ने दृढ़ निश्चय किया और अपने बच्चों के साथ पढ़ाई शुरू कर दी।
बेटी ने बीए में पढ़ते हुए मां को पढ़ाया
दोबारा पढ़ाई जारी रखने का श्रेय वह अपने बच्चों के साथ-साथ अपने पति को भी देती हैं। उन्होंने कहा, मैं 22 साल बाद दोबारा कॉलेज जाने को लेकर बहुत डरी हुई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें अच्छा महसूस होने लगा. बेटी का कहना है कि मां ने भी भाई के साथ मिलकर पढ़ाई की और आज हम दोनों भाई-बहन मां के साथ परीक्षा दे रहे हैं। प्रतिमा का कहना है कि अभी उनकी उम्र नौकरी करने की भी नहीं है, लेकिन शिक्षित होने का महत्व अलग है।