बेगूसराय की किसान चाची ने किया कमाल! मशरूम की खेती से कर रही लाखों की कमाई, महिलाओं के लिए बनी रोल मॉडल!

Farmer Anita of Begusarai : पिछले कुछ सालों में किसानों का रुझान फसल की खेती के आलावा मशरूम की खेती (Mushroom Farming) की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि मशरूम की खेती (Mushroom Farming) किसानों के लिए बेहतर आय (Income) का जरिया बनता जा रहा है। इसमें बस कुछ ही महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है, और बाजार में मशरूम (Mushroom) का अच्छा दाम मिल जाता है।

ऐसे में आज आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से बेगूसराय के एक ऐसी महिला किसान के बारे में बताएंगे। जो कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर से प्रशिक्षण लेकर घर बैठे मशरूम की खेती (Mushroom Farming) कर रही है। जिले के खोदावंदपुर के मेघौल गांव की अनिता आज मशरूम के उत्पादन (Mushroom Farming) से न सिर्फ खुद की आमदनी बढ़ा रही है, बल्कि पूरे गांव की पहचान बदल दी है। आज अनीता की वजह से मेघौल गांव को “Mushroom Village” के नाम से भी जाना जाता है।

अनिता ने बताया कि उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर मशरूम का उत्पादन (Mushroom Farming) शुरू किया। इसके बाद उन्होंने इसकी मदद से गांव की कई महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने 5 महिलाओं की टीम तैयार की और उन्हें ऑयस्टर मशरूम उत्पादन (Oyster Mushroom Farming) का प्रशिक्षण दिया।

आपको बता दे की अनिता अन्य महिलाओं को जिविका से जोड़कर आर्थिक मदद करने के साथ फ्री में मशरूम के बीज या फिर 250 रुपए में 10 थैला लायक मशरूम का बीज दिलवाया। अब वे महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनकर अपने-अपने घरों में मशरूम तैयार (Mushroom Farming) कर रही हैं।

वही, मेघौल गांव के लोगों का कहना है कि इस गांव में हर समय सबसे सस्ता मशरूम (Mushroom Farming) मिलता है। इस कारण जिलेभर के लोग इस मेघौल गांव को “Mushroom Village” के नाम से भी जानते हैं। अनिता देवा का कहना है की ₹250 में 10 थैला में मशरूम का बीज उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है।

आगे उन्होंने कहा कि वह खुद इन दिनों 50 थैला में मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। अनिता बताती हैं कि 30 दिनों के बाद थैले से मशरूम तैयार होना शुरू हो जाता है। वह हर 5 दिनों पर करीब 50 पैकेट से4 से ₹5000 का मशरूम बाजार में बेच देती हैं.