बिहार का अनोखा रेलवे स्टेशन : 5 लाख लोगों की है आवाजाही, गुजरती हैं 8 पैसेंजर ट्रेनें, मगर रुकती कोई नहीं….

Indian Railways को देश की धड़कन कहा जाता है, और हो भी क्यों न Railways रोजाना लाखों यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। देश में लोगों को और ट्रांसपोर्टेशन के मुकाबले रेल यात्रा काफी सस्ती पड़ती है। इसीलिए हर कोई इसी से यात्रा पसंद करता है। ऐसे में आज आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से बिहार के एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे। जहां, सालाना 5 लाख से अधिक यात्री की आवाजाही होती है, कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेन भी रूकती है। परंतु, एक भी सवारी गाड़ी नहीं रुकती है।

आपको बता दे की यह रेलवे स्टेशन बेगूसराय जिले के ECR अंतर्गत न्यू बरौनी जंक्शन (New Barauni Junction) की है..जिसका रेलवे कोड NBJU है। यहां से प्रतिवर्ष तकरीबन 2.5 से 3 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। इसका निर्माण 2009 में करवाया गया था। लेकिन, इस रेलवे स्टेशन से लगातार राजस्व में वृद्धि एवं अन्य रेलवे तकनीकी कारणों से 15 दिसंबर 2020 को इसे न्यू बरौनी जंक्शन के रूप में रेलवे ने मान्यता दी। इसके बाद यहां कई यात्री सुविधाएं एवं सौन्दयीकरण के लिए कार्य करवाए गए।

कोई भी मेमू ट्रेन का नही है ठहराव

आपको जानकारी हैरानी होगी की बरौनी कटिहार- रेलखंड स्थित न्यू बरौनी जंक्शन (New Barauni Junction) से होकर रोजाना 8 सवारी गाड़ी गुराजती है। इनमें से एक भी को यहां पर स्टॉपेज स्वीकृत नहीं किया गया है। जबकि, कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव दिया गया है। वही, आसपास के तकरीबन 15 गांवों के लोगों को छोटे-छोटे स्टेशनों तक ट्रेन की यात्रा के लिए करीब 3 से 5 किलोमीटर दूर बरौनी जंक्शन पहुंचकर पैसेंजर ट्रेन पकड़ना पड़ता है या फिर सड़क मार्ग से यात्रा को मजबूर होना पड़ता है।

राजस्व के मामले में है अब्बल

अगर, आंकड़े पर नजर डालें तो न्यू बरौनी जंक्शन (New Barauni Junction) से सालाना रेलवे को 2.5 लाख रुपए से अधिक के राजस्व की प्राप्ति होती है। विभिन्न स्टेशनों से आने वाले या फिर न्यू बरौनी जंक्शन रेलवे स्टेशन से विभिन्न स्टेशनों को जाने वाले यात्रियों की प्रति माह की संख्या 36000 से 45000 बताई जाती है। इसमें विभिन्न स्टेशनों को जाने वाले यात्रियों में अन-रिजर्व टिकट लेने वाले यात्रियों की प्रतिमाह की संख्या 15000 से अधिक है। जिससे रेलवे को प्रतिमाह 11 लाख रुपए जबकि प्रतिवर्ष 1 करोड़ 32 लाख रुपए से अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है।