D2M : अब बिना सिम कार्ड के चलेगा इंटरनेट- सरकार लॉन्च करने जा रही है D2M Technology..

D2M Technology : केंद्र सरकार द्वारा जल्द ही भारत के कुछ शहरों में डायरेक्ट टू मोबाइल टेक्नोलॉजी लॉन्च की जा सकती है और इसे लेकर तेजी से काम चल रहा है। इस टेक्नोलॉजी के आ जाने के बाद यूजर्स मोबाइल फोन में बिना सिम कार्ड या इंटरनेट के वीडियो कंटेंट देख पाएंगे। इसमें यूजर्स को बिना इंटरनेट के अपने मोबाइल में लाइव टीवी देखने की अनुमति मिलेगी। फिलहाल इसका ट्रायल देश के अलग-अलग शहरों में किया जा रहा है।

क्या है D2M टेक्नोलॉजी

इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप मोबाइल फोन में बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के मल्टीमीडिया कंटेंट देखने में सक्षम होंगे। D2M का उपयोग करके नेटवर्क बैंडविड्थ पर दबाव डाले बिना सीधे यूजर्स के मोबाइल फोन पर जानकारी पहुंचाई जा सकती है। इसका इस्तेमाल इमरजेंसी अलर्ट जारी करने और डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए किया गया है।

19 शहरों में जल्द होगा ट्रायल

सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने एक ब्रॉडकास्टिंग कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जल्द ही देश के 19 शहरों में डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी(D2M Technology)का ट्रायल किया जाएगा। साल 2023 में इसका ट्रायल करने के लिए बैंगलुरु, कर्तव्य पथ, नोएडा में पायलट प्रोजेक्ट चलाये गए थे।

क्या है इसके फीचर्स

इस टेक्नोलॉजी के बारे में एक लेटर जारी करते हुए बताया गया है कि यह यह मोबाइल- सेंट्रिक एंड सीमलेस कॉन्टेंट डिलिवरी, हाइब्रिड ब्रॉडकास्ट, रीयल टाइम एंड ऑन-डिमांड कॉन्टेंट और इंटरैक्टिव सर्विस देने का काम करेगी।

डिजिटल ट्रांसफार्मेशन में आएगी तेजी

अपूर्व चंद्रा ने बताया कि देश में 80 करोड़ स्मार्टफोन है और यूजर्स तक पहुंच वाली 69 प्रतिशत कंटेंट वीडियो फॉर्मेट में है। काफी ज्यादा मात्रा में वीडियो चलने के कारण इंटरनेट में रुकावट आती है और यह रुक-रुक कर चलता है।

अब नई टेक्नोलॉजी के आने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वीडियो ट्रैफिक का 25-30 प्रतिशत डी2एम में ट्रांसफर होने से 5जी नेटवर्क की रुकावट कम हो जाएगी, जिससे देश में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में तेजी आएगी। इस उभरती टेक्नोलॉजी के लिए 470-582 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम आरक्षित करने पर जोर दिया जाएगा।

D2M ब्रॉडकास्टिंग कैसे करता है काम?

आने वाली इस टेक्नोलॉजी को सांख्य लैब्स और IIT कानपुर ने विकसित किया है। ये तकनीक FM रेडियो की तरह ही काम करती है। यह वीडियो, ऑडियो और डेटा सिग्नल को सीधे मोबाइल और स्मार्ट उपकरणों पर प्रसारित करने के लिए टेरेस्ट्रियल टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक ब्रॉडकास्टर द्वारा सुझाए गए स्पेक्ट्रम का उपयोग करती है।