ट्रेन से यात्रा करते समय अक्सर जब ट्रेन को स्टेशन से थोड़ी देर पहले रोका जाता है, तो लोग कहने लगते हैं कि ट्रेन को आउटर पर रोक दिया गया है. लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा कि आउटर का क्या मतलब होता है और यह क्यों होता है?
दरअसल आउटर से एक बात साफ हो जाती है कि यह स्टेशन से बाहर होता है लेकिन इसे इतना सरल मानना ना भी एक गलती है. बता दें कि आउट अट रेलवे का एक सिग्नल सिस्टम हिस्सा माना जाता है. जो हर स्टेशन पर नहीं होता है इसे कुछ स्टेशनों पर ही रेलवे द्वारा लगाया जाता है.
इस सिस्टम को ऐसे रेलवे स्टेशन (Railway station) पर लगाया जाता है जहां पर सभी सिग्नल केवल 2 आस्फेक्ट के ही होते हैं. 2 आस्फेक्ट को सरल भाषा में समझे तो लिया केवल दो ग्रीन और रेड लाइट वाले सिग्नल होते हैं, जिसमें पीली लाइट नहीं लगी होती है. खास बात यह है कि आमतौर पर इन रेलवे स्टेशन को B-class या फिर ग्रेड क्लास के स्टेशन के सूची में जोड़ा जाता है.
क्या होता है आउटर सिग्नल?
2 आस्फेक्ट वाले सिग्नल ऐसे रेलवे स्टेशन (Railway station) पर होते हैं जहां ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले ही रोक दिया जाता है. जो ट्रेन को स्टेशन पर पहुंचने से पहले स्टॉप के लिए संकेत देता है. इस सिस्टम को स्टेशन से थोड़ी दूर पर ही लगाया जाता है जहां ट्रेन पहुंचने के बाद रुक जाती है और इसके बाद स्टेशन पर पहुंचती है. दरअसल इसको इसलिए किया जाता है कि अगर ट्रेन को आगे चलकर कहीं रोकना पड़ा तो उसे आसानी से वही रोक किया जाए इस एरिया को ब्लॉक ओवरलैप के नाम से भी जाना जाता है.
आउटर पर ही क्यों रुक जाती है गाड़ियां?
हालांकि बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जिनके मन में सवाल आता है कि आउटर पर पहुंचते ही गाड़ियां क्यों रुक जाती है. तो इसका सीधा और सरल जवाब है कि, जब प्लेटफार्म पर ट्रेन पहुंचती है तो वहां पहुंचने से पहले उसे स्टेशन (Railway station) पर कोई गाड़ी मौजूद है. प्लेटफार्म खाली नहीं है इसीलिए ट्रेन को आउटर पर ही रोक दिया जाता है भले ही आपकी गाड़ी सही टाइम पर पहुंच चुकी है लेकिन उसे आगे जाने के लिए आगे वाली ट्रेन को वहां से निकलना होगा.
इसीलिए कई बार लोग ट्रेन में बैठ गया सोचने लगते हैं कि ट्रेन सही समय पर पहुंच गई है इसके बावजूद भी ट्रेन को रोक दिया गया. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि प्लेटफार्म खाली होने के बाद ही आपकी ट्रेन प्लेटफार्म पर जाकर खड़ी होगी.